Pradosh Vrat In Year 2019: भगवान शिव को समर्पित है प्रदोष व्रत, जानें साल 2019 में पड़नेवाली त्रयोदशी तिथियों की पूरी लिस्ट
प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सारे कष्ट और सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं. कलयुग में इस व्रत को मंगलकारी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने वाला उत्तम व्रत माना गया है. हफ्ते के अगल-अलग दिन पड़ने वाले इस व्रत का अलग-अलग महत्व बताया जाता है.
Pradosh Vrat year 2019: वैसे तो साल भर में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन एकादशी, संकष्टी और त्रयोदशी जैसे व्रत हर महीने पड़ते है. बात करें प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) की तो यह भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि (Trayodashi Tithi) को दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष यानी त्रयोदशी का व्रत करने से बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है. हर महीने के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाले व्रत को प्रदोष व्रत कहा जाता है. सूर्यास्त के बाद और रात्रि के बीच के समय को प्रदोष काल कहा जाता है और इस काल में ही त्रयोदशी तिथि को व्रत रखकर भगवान शिव की उपासना की जाती है.
ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के सारे कष्ट और सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं. कलयुग में इस व्रत को मंगलकारी और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने वाला उत्तम व्रत माना गया है. हफ्ते के अलग-अलग दिन पड़ने वाले इस व्रत का अलग-अलग महत्व बताया जाता है. अगर आप भी प्रदोष व्रत करते हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं साल भर में पड़नेवाले प्रदोष व्रत की तिथियों की पूरी लिस्ट.
साल 2019 में पड़ने वाले व्रत व्रत
03 जनवरी 2019 (गुरुवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
18 जनवरी 2019 (शुक्रवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
02 फरवरी 2019 (शनिवार)- शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
17 फरवरी 2019, (रविवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
03 मार्च 2019, (रविवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
18 मार्च 2019, (सोमवार)- सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
02 अप्रैल 2019, (मंगलवार)- भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
17 अप्रैल 2019, (बुधवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
02 मई 2019, (गुरुवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
16 मई 2019, (गुरुवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
31 मई 2019, (शुक्रवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
14 जून 2019, (शुक्रवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
30 जून 2019, (रविवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
14 जुलाई 2019, (रविवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
29 जुलाई 2019, (सोमवार)- सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
12 अगस्त 2019, (सोमवार)- सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
28 अगस्त 2019, (बुधवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
11 सितंबर 2019, (बुधवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
26 सितंबर 2019, (गुरुवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
11 अक्टूबर 2019, (शुक्रवार)- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
25 अक्टूबर 2019, (शुक्रवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
09 नवंबर 2019, (शनिवार)- शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
24 नवंबर 2019, (रविवार)- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
09 दिसंबर 2019, (सोमवार)- सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
23 दिसंबर 2019, (सोमवार)- सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) यह भी पढ़ें: भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग में सोमनाथ मंदिर पहला ज्योतिर्लिंग, जहां पूरी होती है हर मनोकामना
प्रदोष व्रत की विधि-
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है और अगर आप नए साल में प्रदोष व्रत करने की सोच रहे हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं इस व्रत से जुड़े नियम व पूजा की विधि-
- त्रयोदशी तिथि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं.
- स्नान आदि करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें.
- बेलपत्र, अक्षत, धूप, दीप, चंदन, गंगाजल, दूध इत्यादि से भगवान शिव की पूजा करें.
- इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए, बल्कि प्रदोष काल में पूजन के बाद फलाहार करना चाहिए.
- दिन भर उपवास रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करें.
- फिर स्वच्छ जल या गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें.
- अब गाय के गोबर से पूजा के लिए मंडप तैयार कर लें और उसमें रंगोली बनाएं.
- पूजा की तैयारी करने के बाद उत्तर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुशा के आसन पर बैठ जाएं.
- भगवान शिव का जल, दूध, बेलपत्र, चंदन, गंध, पुष्ष, धूप और दीप से पूजन करें.
- पूजा के दौरान भगवान शिव का ध्यान करें और 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का जप करें. यह भी पढ़ें: सावन महिना स्पेशल: भगवान शिव की एक छोटी भक्त ऐसी भी, 5 साल से लेकर जा रही है कांवड़
गौरतलब है कि इस व्रत की सातों दिन की अलग-अलग कथाएं हैं, इसलिए सप्ताह के जिस दिन भी यह व्रत पड़ रहा हो उस दिन से जुड़ी प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. इस व्रत को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी त्रयोदशी के दिन भगवान शिव की पूजा करता है उसके सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.