Prabodhini Ekadashi 2024 Marathi Wishes: प्रबोधिनी एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा! शेयर करें ये मराठी WhatsApp Messages, Quotes और Facebook Greetings
देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन उपवास रखने और कथा सुनने का विशेष महत्व है. यह दिन श्रीहरि के भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन मराठी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स और फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों से प्रबोधिनी एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा कह सकते हैं.
Prabodhini Ekadashi 2024 Marathi Wishes in Hindi: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व बताया जाता है, इस महीने में भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) और माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) की पूजा-अर्चना की जाती है. वहीं दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) कहा जाता है. इस साल देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर 2024 को किया जा रहा है. इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) और देवोत्थान एकादशी (Devutthana Ekadashi) जैसे कई नामों से भी जाना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार माह तक सोने के बाद जागते हैं. श्रीहरि के शयन की वजह से सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है और जब श्रीहरि देवउठनी एकादशी पर योगनिद्रा से जागते हैं तो चतुर्मास की समाप्ति होती है और एक बार फिर से सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है.
देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी भी कहते हैं. इस दिन उपवास रखने और कथा सुनने का विशेष महत्व है. यह दिन श्रीहरि के भक्तों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन मराठी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स और फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर अपनों से प्रबोधिनी एकादशीच्या हार्दिक शुभेच्छा कह सकते हैं.
देवोत्थान एकादशी के दिन सुबह-सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए, फिर पूजा स्थल पर एक चौकी के चारों ओर गन्ने का मंडप बनाएं. अब चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर विधि-विधान से उनकी पूजा करें. उन्हें गन्ना, सिंघाड़ा और पीले फल व पीली मिठाई का भोग अर्पित करें. घी का दीपक प्रज्जवलित करके देवउठनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें. इसके साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु के मंत्रों का जप करें. अगले दिन द्वादशी तिथि को ब्राह्मणों को भोजन व दक्षिणा देकर अपने व्रत का पारण करें.