Phalguna Amavasya 2020: जब प्रयागराज संगम पर अवतरित होते हैं देवी-देवता! जानें पितृकर्म के लिए क्यों है यह दिन शुभ!
हिंदू धर्म और संस्कृति में विश्वास रखने वालों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या महत्वपूर्ण होती है. लेकिन फाल्गुन मास के अमावस्या के महात्म्य का वर्णन वेद और पुराणों में भी मिलता है. इसके अलावा हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या होने के कारण भी इस दिन का विशेष महात्म्य है.
हिंदू धर्म और संस्कृति में विश्वास रखने वालों के लिए प्रत्येक मास की अमावस्या महत्वपूर्ण होती है. लेकिन फाल्गुन मास के अमावस्या के महात्म्य का वर्णन वेद और पुराणों में भी मिलता है. इसके अलावा हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या होने के कारण भी इस दिन का विशेष महात्म्य है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 23 फरवरी को फाल्गुनी अमावस्या का योग बना है.
प्रयागराज संगम पर अवतरित होते हैं देवी-देवता:
फाल्गुन मास की अमावस्या के बारे में मान्यता है कि इस दिन सारे देवी-देवता प्रयागराज स्थित गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम तट पर अवतरित होते हैं. इसीलिए इस दिन दूर-दराज से आये लाखों श्रद्धालु संगम तट पर स्नान कर देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. मान्यता है कि इस दिन स्नान-दान करने वाले को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और मृत्योपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है.
फाल्गुन अमावस्या का महत्व:
अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए किये जाने वाले दान, तर्पण एवं श्राद्ध आदि के लिए यह दिन बहुत ही भाग्यशाली और सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. मान्यता है कि मृत्यु के पश्चात दिंवगत आत्माएं पितृलोक पंहुचती हैं. यह उनका एक प्रकार से अस्थाई निवास होता है और जब तक उनके भाग्य का अंतिम फैसला नहीं होता, उन्हें वहीं रहना पड़ता है. इस दौरान उन्हें भूख और प्यास की अत्यंत पीड़ा सहन करनी पड़ती है. क्योंकि वे स्वयं कुछ भी ग्रहण करने में असमर्थ होते हैं, उनकी पीड़ा का निवारण तभी होता है, जब भूलोक से उनके सगे-संबंधी, परिचित या कोई भी उन्हें मानने वाला उनकी शांति के लिए श्राद्ध-तर्पण, पिण्डदान करता है.
पिण्डदान एवं तर्पण के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन:
यूं तो श्राद्ध एवं तर्पण इत्यादि उसी तिथि में किया जाता है कि जिस व्यक्ति विशेष की मृत्यु होती है. यदि किसी वजह से उसी दिन ऐसा नहीं हो सका हो अथवा तिथि मालूम न हो तो प्रत्येक मास की अमावस्या को श्राद्ध एवं पिण्डदान आदि किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए फाल्गुन अमावस्या और भी सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. ज्योतिषियों के अनुसार यह अमावस्या पितरों को मोक्ष दिलाने वाला होता है. सिर्फ श्राद्ध कर्म ही नहीं बल्कि कालसर्प दोष आदि के निवारण हेतु अमावस्या का विशेष महत्व होता है. फाल्गुनी अमावस्या पर कई धार्मिक तीर्थों पर फाल्गुन मेलों का आयोजन भी होता है. इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य अवश्य करना चाहिए. ऐसा करने से पित्तरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.