Onam 2020 Main Day Date & Full Schedule: फसलों के पर्व (Harvest Festival) ओणम (Onam) को किसानों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है. दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व को केरल का सबसे प्राचीन और पारंपरिक उत्सव माना जाता है. देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले मलयाली समुदाय के लोग ओणम को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. मलयाली कैलेंडर कोलावर्षम (Kollavarsham) के पहले महीने छिंगम (Chingam) में ओणम का त्योहार मनाया जाता है, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अगस्त से सितंबर महीने के बीच पड़ता है. केले के पत्ते पर पारंपरिक दावत, लोक नृत्य, पूक्कलम (Pookalam), बोट रेस (Boat Race) और अन्य खेल दस दिनों तक चलने वाले इस उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा माने जाते हैं. इस दस दिवसीय पर्व के प्रत्येक दिन का अपना एक अलग महत्व है. ओणम आठम पर शुरू होता है और दसवें दिन समाप्त होता है, जिसे थिरुओणम (Thiru Onam) या थिरुवोनम (Thiruvonam) कहा जाता है. इस साल ओणम 22 अगस्त 2020 (शनिवार) से शुरू हो रहा है और थिरुओणम 31 अगस्त को मनाया जाएगा.
ओणम से जुड़ी पौराणिक कथाएं और महत्व
ओणम का त्योहार राक्षस राजा महाबली के सम्मान में मनाया जाता है. इस पर्व से जुड़ी पौराणिक मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि ओणम के दौरान राजा महाबली केरल लौटते हैं. राजा महाबली चिंगम के पहले दिन हर साल अपनी प्रजा से मिलने के लिए आते हैं. वैष्णव कहानियों के अनुसार, राजा महाबली ने देवताओं को एक युद्ध में परास्त कर दिया और तीनों लोकों पर शासन करने लगे. पृथ्वी पर उनकी प्रजा बेहद खुश थी, क्योंकि भूमि पर उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली सभी चीजों की भरमार थी. राजा महाबली के बढ़ते पराक्रम और शक्ति को देख घबराए देवता मदद के लिए भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे. देवताओं द्वारा प्रार्थना किए जाने पर भगवान विष्णु ने वामन के रूप में बौने ब्राह्मण का रूप लिया और राजा महाबली से मिलने गए.
राजा महाबली ने वामन से पूछा कि उन्हें क्या चाहिए, जिसके बाद वामन ने कहा कि उन्हें तीन पग भूमि दान में चाहिए. जब महाबली ने उन्हें तीन पग भूमि लेने की स्वीकृति दे दी तो उनका आकार बढ़ने लगा. उन्होंने एक पग में पृथ्वी और सागर, दूसरे पग में आसमान को नाप लिया, जिसे देख वामन के तीसरे पग को रखने के लिए महाबली ने अपना शीश उनके सामने झुका दिया. इसके बाद वामन ने महाबली को नरक में भेज दिया, लेकिन उसकी भक्ति से वे इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने महाबली को हर साल अपनी प्रजा से मिलने और अपनी भूमि पर जाने का वरदान दिया, इसलिए इस पर्व को राजा महाबली की यात्रा का प्रतीक भी माना जाता है.
ओनासध्या
ओनासध्या केरल का एक पारंपरिक भोज है, जिसमें केले के पत्ते पर भोजन परोसा जाता है. ओणम के दौरान इस भोज का आयोजन किया जाता है और केले के पत्ते पर मिठाई सहित करीब 29 प्रकार के व्यंजन परोसे जाते हैं, जिसमें चावल, सांभर, पचड़ी, केले के चिप्स से लेकर पायसम तक शामिल होता है.
बोट रेस
ओणम के दौरान पारंपरिक बोट रेस का आयोजन किया जाता है. इस आयोजन के दौरान वचीपाटू या बोट सॉन्ग गाकर इसे और भी मनोरंजक बनाने का प्रयास किया जाता है. हालांकि इसका आयोजन ओणम समारोह के कुछ दिन बाद होता है.
पूक्कलम
ओणम के दिन मलयाली समुदाय के लोग विविध प्रकार के फूलों से रंगोली बनाते हैं, जिसे पूक्कलम कहा जाता है. पूक्कलम ओणम पर्व का एक अभिन्न हिस्सा है. हर कोई अपने घर के मुख्य द्वार पर पूक्कलम बनाता है. आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले फूलों में गेंदा, गुलाब, कमल, चमेली और अन्य फूल शामिल होते हैं.
गौरतलब है कि ओणम पर्व का खेती और किसानों से गहरा संबंध है, इसलिए इसे किसानों का खास पर्व कहा जाता है, ओणम का त्योहार ऐसे समय पर मनाया जाता है जब दक्षिण भारत में चाय, इलायची, अदरक और धान जैसी कई फसलें पककर तैयार होती हैं. किसान अपने फसलों की सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति की कामना के लिए ओणम के दिन श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं.