Navratri 2022 Hawan Vidhi: क्या है नवमी में हवन का महत्व? हवन के लिए पुरोहित नहीं उपलब्ध हैं तो स्वयं करें सरल विधि से हवन! जानें हवन सामग्री एवं आवश्यक मंत्र!
चैत्र नवरात्रि (Photo Credits: File Image)

Navratri 2022 Hawan Vidhi: आज संपूर्ण भारत में चैत्रीय नवरात्रि (Chaitra Navratri) की नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. पूजा के पश्चात आवश्यक रूप से घर में हवन किया जाता है. नवरात्रि में हवन करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा बाहर जाती है, घर का कोना-कोना पवित्र हो जाता है. चूंकि इस दिन बड़े पैमाने पर हिंदू अपने घरों में पुरोहितों से हवन करवाते हैं, इसलिए अकसर इस दिन पुरोहितों का अकाल जैसा ही रहता है, अथवा वे अपनी सुविधानुसार कभी भी आने का आश्वासन देते हैं, लेकिन नवरात्रि की नवमी के हवन के एक तय मुहूर्त होता है. अगर आपके सामने भी इस तरह की दुविधाएं हैं, तो आप स्वयं अपने घर पर हवन करवा सकते हैं. ध्यान रहे कि नवमी के दिन हवन के बिना नवरात्रि का अनुष्ठान पूरा नहीं होता, इसलिए हवन अवश्य करवायें या स्वयं करें. आइये आपको हवन करने की सरल विधि सरल मंत्रों के साथ करने के तरीके बताते हैं. लेकिन इससे पहले यह जान लें कि हवन करने के लिए सारी सामग्री पहले से मैनेज कर लें. यह भी पढ़ें: Ram Navami 2022 HD Images: शुभ राम नवमी! इन मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Wallpapers, Photos SMS को भेजकर दें बधाई

हवन के लिए आवश्यक सामग्री

सूखा नारियल-1, कलाई नारा, लाल रंग का कपड़ा, आम की सूखी लकड़ियां, अश्वगंधा, चंदन की लकड़ी, काला तिल, कपूर, चावल, गाय का घी लौंग, इलायची, गुग्गल, जौ, शक्कर, गुड़. काला तिल, एवं हवन सामग्री. एक स्वच्छ रूमाल

हवन करने की सरल विधि

नवमी के दिन स्नान-ध्यान के पश्चात पूजा स्थल की सफाई करें अब धूप-दीप जलाकर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें. इसके पश्चात हवन की तैयारी करें. हवन की सारी सामग्री सामने रख लें. एक पत्थर के ऊपर हवन कुण्ड रखें. परिवार के जिस सदस्य से हवन करवाना है तो उसे हवन-कुंड के सामने पूर्व की तरफ मुख करके बैठायें. हवन सामग्री एक बड़े थाल में रखकर इसमें जौ, गुड़ (पीसकर), काला तिल, घी आदि को अच्छी तरह से मिलाकर रखें. अब हवन-कुण्ड में आम की सूखी लकड़ियां बिछा कर रखें. इस पर कपूर के कुछ दाने डालकर ऊपर से पुनः लकड़ियां बिछाएं. सिर पर रूमाल रखें, सामने घर की महिला को बिठा रहे हैं तो उनका आंचल सर पर होना चाहिए. कपूर जलायें. आम की लकड़ी जलने लगे तो सर्वप्रथम थोड़ा सा शुद्ध जल हवन कुण्ड में छिड़कें, अब निम्न मंत्रों का जाप करते हुए कुण्ड में हवन सामग्री (अंगूठे, मध्यमा एवं अनामिका उंगलियों की मदद से) थोड़ा-थोड़ा डालते जायें. ध्यान रहे कि हर ‘स्वाहा’ शब्द पर ही हवन सामग्री डालें. साथ ही थोड़ा-थोड़ा घी भी डालें. मंत्रों के उच्चारण में जल्दबाजी अथवा त्रुटि नहीं होने पाये.

ओम आग्नेय नम: स्वाहा

ओम गणेशाय नम: स्वाहा

ओम गौरियाय नम: स्वाहा

ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा

ओम दुर्गाय नम: स्वाहा

ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा

ओम हनुमते नम: स्वाहा

ओम भैरवाय नम: स्वाहा

ओम कुल देवताय नम: स्वाहा

ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा

ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा

ओम विष्णुवे नम: स्वाहा

ओम शिवाय नम: स्वाहा

ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा

स्वधा नमस्तुति स्वाहा.

ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतु सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा

ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा

ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते

अब ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः स्वाहा मंत्र का 108 बार जप करते हुए हवन कुंड में हवन सामग्री डालते रहें.

अब सूखे नारियल के मुख से दो भाग करके इसमें बचा हुआ घी. पान, सुपारी, खीर, पूरी, शहद, लौंग रखकर कलाई नारे से चारों तरफ से बांधें और कलाई नारा का एक छोड़ पकड़कर हवन-कुण्ड के मध्य में आहिस्ते से रखें. बचे हुए हवन सामग्री को पान के पत्ते पर रखकर दुर्गा का ध्यान करते निम्न मंत्र का जाप करते हुए आहुति दें.

ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते,

पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा

हवन का कार्य पूरा होने के बाद आरती की थाली में कपूर जलाकर माँ गौरी की आरती करें, एवं ब्राह्मण के नाम दक्षिणा निकालें. इस तरह आपका हवन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ.