Navratri 2018: सभी सिद्धियों को पाने के लिए महानवमी पर करें मां सिद्धिदात्री की उपासना, देवी दुर्गा का है नौवां स्वरूप
मां सिद्धिदात्री (File Photo)

नवरात्रि की नवमी तिथि पर मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है. सर्व सिद्धियों की प्राप्ति के लिए देव, यक्ष, किन्नर, दानव, ऋषि-मुनि, साधक और गृहस्थ आश्रम में जीवनयापन करने वाले लोग भी मां सिद्धिदात्री का पूजन करते हैं. मान्यता है कि समस्त देवी-देवताओं को भी मां सिद्धिदात्री से ही सिद्धियां प्राप्त हुई थीं, इसलिए जो भी भक्त अष्ट सिद्धियों की कामना करके सच्चे मन से इनका पूजन करता है, मां उन्हें सिद्धियां प्रदान करती हैं. अणिमा, महिमा,गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं, जिनका उल्लेख मार्कण्डेय पुराण में मिलता है.

इस पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से सिद्धियों को प्राप्त किया था और इन्हीं के द्वारा भगवान शिव को अर्धनारीश्वर का रूप प्राप्त हुआ. चलिए जानते हैं जगत के कल्याण के लिए नौ रुपों में प्रकट हुई देवी दुर्गा की नौवीं शक्ति मां सिद्धिदात्री के पूजन की विधि.

ऐसा है मां सिद्धिदात्री का स्वरूप

देवी सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यत सौम्य है, उनकी चार भुजाएं हैं. दाहिनी भुजा में माता ने चक्र और गदा धारण किया है, जबकि बायीं भूजा में शंख और कमल का फूल सुशोभित है. वो कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं और सिंह की सवारी करती हैं. सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं, जो श्वेत वस्त्र और आभूषणों से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं. यह भी पढ़ें: Navratri 2018: कन्या पूजन के बाद ही संपन्न होता है नवरात्रि का व्रत, जानें कितनी होनी चाहिए उनकी उम्र?

इस विधि से करें मां की आराधना

माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा भी मां के अन्य रूपों की तरह ही की जाती है, लेकिन इनकी पूजा में तिल के साथ नवरस युक्त भोजन, नौ किस्म के फूल, नौ प्रकार के फल अर्पित करने चाहिए. पूजा में सबसे पहले कलश और उसमें मौजूद देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद माता के मंत्र का जप करना चाहिए.

इस मंत्र का करें जप

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

पूजा के बाद कराएं कन्या भोजन

नवमी तिथि पर मां सिद्धिदात्री का पूजन करने के बाद कुवांरी कन्याओं को भोजन कराया जाता है. उन्हें मां के प्रसाद के साथ दक्षिणा दी जाती है और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जाता है. यह भी पढ़ें: Dussehra 2018: जानें कब मनाया जाएगा विजयादशमी का पर्व, दुर्भाग्य को दूर करने के लिए इस दिन करें ये उपाय