Nautapa 2021: नौतपा का प्रचण्ड ताप! दान कर मिटाएं सारे पाप! जानें क्या कहता है पुराण, कुरान एवं ज्योतिष शास्त्र?

लगभग सभी धर्मों में दान का विशेष महत्व बताया गया है. गरीब तथा बेसहारों को राहत पहुंचानेवाली वस्तुओं के दान का महत्व सबसे ज्यादा होता है. इन दिनों जब सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होने के कारण नौतपा यानी झुलसती गर्मी से जन-जीवन त्रस्त है, मान्यता है कि ऐसे में जरूरतमंदों को अन्न, जल, कपड़े, छाता, जूते एवं चप्पलें दान करके हम अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं. नौतपा के भीषण प्रकोप से गर्मी अपनी चरम पर है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits ANI)

लगभग सभी धर्मों में दान का विशेष महत्व बताया गया है. गरीब तथा बेसहारों को राहत पहुंचानेवाली वस्तुओं के दान का महत्व सबसे ज्यादा होता है. इन दिनों जब सूर्य पृथ्वी के सबसे करीब होने के कारण नौतपा (Nautapa) यानी झुलसती गर्मी से जन-जीवन त्रस्त है, मान्यता है कि ऐसे में जरूरतमंदों को अन्न, जल, कपड़े, छाता, जूते एवं चप्पलें दान करके हम अक्षुण्य पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं. नौतपा के भीषण प्रकोप से गर्मी अपनी चरम पर है. तपती गर्मी की इस प्रचण्डता से बचने के लिए दान-धर्म के साथ-साथ पेड़-पौधे लगाने की भी पुरानी परंपरा है. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, यानी नौतपा काल में गर्मी की प्रचण्डता से बचाने वाली वस्तुओं का दान जरूरतमंदों को करना चाहिए. ऐसा करने से कभी न खत्म होनेवाले पुण्य के अलावा जाने-अनजाने में हुए पापों से मुक्ति मिल जाती है. यह भी पढ़ें: Nautapa 2021: कब शुरू होगा नौतपा? जानें इसका ज्योतिषीय, धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व?

क्या कहते हैं पुराण

गरुड़, पद्म एवं स्कंद पुराण में वर्णित है कि ज्येष्ठ माह में पड़नेवाले नौतपा काल में जरूरमंदों को दान करने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. इस दरम्यान भोजन, पानी, वस्त्र, छाता और जूते-चप्पल का दान किया जाता है. इसके साथ-साथ इन दिनों राहगीरों को तपती धूप से बचाने वाले घनी छाया देनेवाले वृक्षों के आरोपण एवं पेड़-पौधों को जल से सींचने से भी अक्षुण्य पुण्यों की प्राप्ति होती है और हमारे पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से अशुभ ग्रहों के प्रभावों से भी राहत मिलती है.

कौन से पेड़ लगाने से मिलते हैं अश्वमेघ यज्ञ जैसा पुण्य

विष्णुधर्मोत्तर और स्कंद पुराण में उल्लेखित है कि नौतपा काल में पीपल, आंवला एवं तुलसी के पेड़ लगाने से कई गुना पुण्य प्राप्त होता है. कुछ पुराणों नीम, बिल्वपत्र, बरगद, इमली और आम के पेड़ भी लगाने से अश्वमेध यज्ञ से मिलनेवाले पुण्य प्राप्त होते हैं. जाने-अनजाने में हुए पाप नष्ट होते हैं. इन पेड़-पौधों को लगाने से हर तरह की परेशानियों से भी छुटकारा मिलने लगता है.

ज्योतिष शास्त्र का नजरिया

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार में नौतपा के दरम्यान जब पृथ्वी और सूर्य काफी करीब आ जाते हैं, तो गर्मी की प्रचण्डता का सबसे ज्यादा असर मासूम पेड़-पौधे एवं निरीह जीव-जंतु होते हैं. क्योंकि इस दरम्यान प्रचण्ड गर्मी के कारण पृथ्वी के भीतरी सतहों में पानी काफी कम हो जाता है, जिससे पेड़-पौधों एवं पशु-पक्षियों को जल नहीं मिल पाता. इसीलिए नौतपा के दरम्यान पेड़-पौधों को जल से सींचने एवं पशु-पक्षियों के लिए जलाशय अथवा जलकुण्ड की परंपरा शुरु हुई. ऐसा करने वालों को तमाम यज्ञों को करने से जो पुण्य प्राप्त होता है, उससे कई गुना पुण्य की प्राप्ति उन्हें होती है.

जानें क्या कहता है कुरान

इस्लाम धर्म में गरीबों एवं जरूरतमंदों को दान-धर्म की पुरानी परंपरा है. यह दान जकात एवं फितरा के रूप में होता है, जिसका कुरान में हर समर्थ मुसलमानों को देना आवश्यक बताया गया है. इसके साथ-साथ इस्लाम धर्म में वनस्पतियों के महत्व का भी जिक्र है. मस्नदे-अहमद की एक हदीस में रसूल के अनुसार अगर कयामत कायम होने वाली हो और किसी के पास बोने के लिये खजूर की कोई कोंपल हो तो उसे तुरंत बो देना चाहिए. इसके बदले उसे अज्र और सबाब मिलता है. पैगंबर ने अपने अनुयायियों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने की सीख देने के साथ-साथ बेवजह पेड़ काटना गुनाह माना है. बुखारी शरीफ की एक हदीस के अनुसार वृक्षारोपण भी एक प्रकार का दान है क्योंकि वृक्ष पक्षियों और दूसरे जीवों की आश्रय स्थली बनती है. इसके पत्ते जीवों का आहार होते हैं और इसकी छाया राहगीरों को शीतलता प्रदान करती है.

नौतपा की तीक्ष्ण गर्मी से शरीर में पानी की कमी से तमाम किस्म की बीमारियों का खतरा रहता है. ऐसे में असहायों एवं जरूरतमंदों को शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुएं दान करना श्रेयस्कर माना जाता है. इसलिए इस दौरान आम, नारियल, गंगाजल, दही, छाछ, पना, पीने वाले पानी से भरा मटका, हल्के वस्त्र, छाता, जूते-चप्पल, दान करने चाहिए.

नोट: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्य के लिए लिखा गया है, हमारा यह लेख किसी भी तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है.

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