National Ayurveda Day 2024 Messages: आयुर्वेद दिवस की बधाई! प्रियजनों को भेजें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Slogans और Facebook Greetings
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था. हाथ में अमृत कलश धारण करने वाले भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक और देवताओं का वैद्य माना जाता है, इसलिए धन्वंतरि जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, स्लोगन, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर आयुर्वेद दिवस की बधाई दे सकते हैं.
National Ayurveda Day 2024 Messages in Hindi: पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) की शुरुआत हर साल धनतेरस (Dhanteras) से होती है और इसी दिन हर साल राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस यानी नेशनल आयुर्वेद डे (National Ayurveda Day) मनाया जाता है. आयुर्वेद (Ayurveda) दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति पांच हजार वर्ष पहले भारत में हुई थी. आयुर्वेद की दवाएं व्यक्ति विशेष को रोगों एवं शारीरिक पीड़ा से मुक्त रखने में मदद करती हैं और इसका मानव पर कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है. राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का उद्देश्य स्वास्थ्य और दैनिक जीवन शैली को बेहतर बनाने में आयुर्वेद के महत्व से लोगों को रूबरू कराना है. इसके साथ ही इसका ज्यादा से ज्यादा प्रचार-प्रसार करना है. इस साल 29 अक्टूबर 2024 को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है और इस दिवस को मनाने की शुरुआत केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा साल 2016 में हुई थी.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य हुआ था. हाथ में अमृत कलश धारण करने वाले भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक और देवताओं का वैद्य माना जाता है, इसलिए धन्वंतरि जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के तौर पर मनाया जाता है. ऐसे में आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, स्लोगन, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर आयुर्वेद दिवस की बधाई दे सकते हैं.
गौरतलब है कि सदियों से आयुर्वेद को भारत की स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं का अभिन्न अंग माना जाता है और उपचार की इस प्रणाली को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त है. आयुर्वेद विज्ञान इस विश्वास पर आधारित है कि मानव शरीर ब्रह्मांड का एक सूक्ष्म अंश है और स्वास्थ्य की तब प्राप्ति होती है, जब मानव शरीर प्रकृति के साथ संतुलन की अवस्था में होता है. आयुर्वेद का स्वास्थ्य के प्रति एक दृष्टिकोण है, जो शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक पहलुओं को ध्यान में रखता है. यह वात, पित्त और कफ जैसे तीन दोषों और तीन सिद्धांतों पर आधारित है.