Narasimha Jayanti 2019: इसलिए भगवान विष्णु ने धारण किया आधे मनुष्य व आधे शेर का शरीर, जानें नृसिंह अवतार से जुड़ी यह दिलचस्प पौराणिक कथा

हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व बताया जाता है. इस साल नृसिंह जयंती का यह पावन पर्व 17 मई 2019, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. भगवान विष्णु के 10 अवतारों में नृसिंह अवतार भी शामिल है.

नृसिंह जयंती 2019 (Photo Credits: Facebook)

Narasimha Jayanti 2019: हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह जयंती (Narasimha Jayanti) मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इसका बहुत महत्व बताया जाता है. इस साल नृसिंह जयंती का यह पावन पर्व 17 मई 2019, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है. भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के 10 प्रमुख अवतारों में नृसिंह अवतार भी शामिल है. बताया जाता है कि भगवान विष्णु को अपने परम भक्त प्रह्लाद (Prahlad) की रक्षा करने और उसके पिता का संहार करने के लिए यह अवतार लेना पड़ा था. अपने भक्त की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह के रूप में आधे मनुष्य और आधे शेर का शरीर धारण किया था.

आखिर जगत के पालनहार श्रीहरि को आधे नर और आधे शेर का यह अवतार क्यों लेना पड़ा, चलिए नृसिंह जयंती के खास मौके पर जानते हैं उनके इस अवतार से जुड़ी यह दिलचस्प पौराणिक कथा (Mythological story of Narasimha Avatar).

जब खुद को भगवान समझ बैठा हिरण्यकश्यप

श्रीहरि के नृसिंह अवतार से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कश्यप ऋषि के दो पुत्रों में से एक हिरण्यकश्यप ने ब्रह्मदेव की कठोर तपस्या करके यह वरदान प्राप्त किया था कि उसे कोई देवता, देवी, नर-नारी, असुर, यक्ष या कोई अन्य जीव नहीं मार पाएगा. इसके साथ ही उसकी मृत्यु न दिन, न रात, न घर के भीतर, न बाहर, न धरती पर, न आकाश में, न किसी अस्त्र से और न किसी शस्त्र से हो सकती है. भगवान ब्रह्मा से ऐसा वरदान पाकर हिरण्यकश्मय घमंड में चूर हो गया और खुद को भगवान मानने लगा. खुद को सर्वशक्तिशाली और अमर मानकर वो तीनों लोकों पर अत्याचार करने लगा और लोगों को तरह-तरह की यातनाएं देने लगा. यह भी पढ़ें: जब भगवान विष्णु को जग हित के लिए करवाना पड़ा अपना ही वध, जानिए उनके अश्वमुखी अवतार से जुड़ी यह पौराणिक कथा

भक्त प्रह्लाद था भगवान विष्णु का परम भक्त

हिरण्यकश्यप अपनी प्रजा को खुद की पूजा करने के लिए दबाव डालने लगा और जो उसकी पूजा नहीं करता उसे यातनाएं देने लगा. हिरण्यकश्यप श्रीहरि के भक्तों से चिढ़ता था, लेकिन उसका पुत्र  प्रह्लाद स्वयं भगवान विष्णु का परम भक्त था. जब हिरण्यकश्यप को इसकी भनक लगी, तो उसने अपने पुत्र पर भी स्वंय की भक्ति करने का दबाव डाला. हिरण्यकश्यप के दवाब डालने और समझाने के बाद भी भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहे. इसके बाद उसने प्रह्लाद की भक्ति को रोकने की काफी कोशिश की, लेकिन उसकी हर कोशिश बेकार हो गई. यहां तक कि हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की जान तक लेने की कोशिश की, लेकिन इसमें भी वो असफल रहा.

भक्त की पुकार पर स्तंभ में से प्रकट हुए नृसिंह

एक दिन जब प्रह्लाद ने हिरण्यकश्यप से कहा कि उसके आराध्य हर जगह पर मौजूद हैं तो हिरण्यकश्यप ने उसे चुनौती देते हुए कहा कि अगर तुम्हारे आराध्य सब जगह पर व्याप्त हैं तो इस स्तंभ में क्यों नहीं नजर आते? इतना कहते हुए हिरण्यकश्यप ने अपने राजमहल के उस स्तंभ पर जोरदार प्रहार किया. तभी उस स्तंभ से भगवान विष्णु नृसिंह के अवतार में प्रकट हुए. आधे शेर और आधे मनुष्य के रूप में प्रकट हुए नृसिंह ने हिरण्यकश्यप को उठा लिया और उसे महल की चौखट पर ले गए. भगवान नृसिंह ने उसे अपनी जांघों पर लिटा दिया और अपने नाखूनों से उसके सीने को चीर दिया.

भगवान नृसिंह ने किया हिरण्यकश्यप का वध

जिस समय भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध किया, उस समय न तो दिन था न तो रात. जिस स्थान पर उन्होंने उसका संहार किया वो न तो घर के भीतर थे और न ही घर के बाहर. उस समय गोधुलि बेला थी यानी न तो दिन था और न ही रात. उन्होंने जिस अवतार में हिरण्यकश्यप का वध किया वो न तो पूरी तरह से मानव थे और न ही पूरी तरह से पशु. वध करते समय नृसिंह ने हिरण्यकश्यप को अपनी जांघ पर लिटाया था, इसलिए वह न धरती पर था और न आकाश में था. उन्होंने न तो किसी तरह के अस्त्र का उपयोग किया न ही किसी शस्त्र का, बल्कि उन्होंने अपने नाखूनों से उसका वध किया. यह भी पढ़ें: Parshuram jayanti 2019: जब भगवान परशुराम ने पिता के कहने पर किया अपनी ही माता का सिर धड़ से अलग, जानिए यह दिलचस्प पौराणिक कथा

गौरतलब है कि भगवान नृसिंह ने इस अवतार में खुद को भगवान समझनेवाले हिरण्यकश्यप का संहार किया और अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा की. एक भक्त की पुकार सुनकर भगवान उसकी रक्षा के लिए प्रकट हुए, इसलिए इस दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.      

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