Mokshada Ekadashi 2019: मोक्षदा एकादशी कब है? यह व्रत रखने से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व

मोक्षदा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्यों के सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि यह व्रत व्यक्ति के मृतक पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खोलने में मदद करता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

भगवान विष्णु (Photo Credits: Instagram)

Mokshada Ekadashi 2019: मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) का हिंदू धर्म में विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से मनुष्यों के सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष (Margashirsha Shukla Paksha) की एकादशी तिथि को पड़नेवाली मोक्षदा एकादशी को वैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि यह व्रत व्यक्ति के मृतक पूर्वजों के लिए स्वर्ग के द्वार खोलने में मदद करता है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, इसलिए जो मनुष्य अपने पितरों और स्वयं के मोक्ष की कामना करता है, उसे यह व्रत अवश्य करना चाहिए. इस साल मोक्षदा एकादशी की पावन तिथि 8 दिसंबर को पड़ रही है.

मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण के मुख से पवित्र श्रीमद्भगवत गीता (Srimad Bhagavad Gita) का जन्‍म हुआ था, इसलिए इस दिन गीता जयंती (Gita Jayanti) भी मनाई जाती है. उन्होंने इस पावन तिथि पर महाभारत युद्ध से पहले कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इस दिन गीता का पाठ करना बेहद पुण्यकारी माना जाता है.

शुभ मुहूर्त

मोक्षदा एकादशी तिथि- 8 दिसंबर 2019 (रविवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ- 7 दिसंबर 2019 को सुबह 08.34 बजे से,

एकादशी तिथि समाप्त- 8 दिसंबर 2019 की सुबह 08.29 बजे तक.

पारण का शुभ मुहूर्त- 9 दिसंबर 2019 को सुबह 07.06 बजे से 09.09 बजे तक.

पूजा विधि 

क्या है इसका महत्व?

विष्णु पुराण के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से साल की अन्य 23 एकादशियों के व्रत के बराबर फल प्राप्त होता है. इस एकादशी का पुण्य पितरों को अर्पित करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें नरक यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट होते हैं और उन्हें मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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