Mohini Ekadashi 2020: मोहिनी एकादशी का व्रत करने पर किन नियमों का करें पालन, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पौराणिक महत्व

हिंदू कैलेंडर के अनुसार मई महीना धार्मिक दृष्टी से बहुत विशेष है. इस महीने में कई ग्रह और नक्षत्र अपनी चाल बदल रहे हैं जिसके कारण इस माह में पड़ने वाले व्रतों और उपवासों की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है. भगवान विष्णु ने राक्षसों से अमृत की रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया था.

भगवान विष्णु और उनका मोहिनी अवतार (Photo Credits: Facebook)

Mohini Ekadashi 2020: हिंदू कैलेंडर के अनुसार मई महीना धार्मिक दृष्टी से बहुत विशेष है. इस महीने में कई ग्रह और नक्षत्र अपनी चाल बदल रहे हैं जिसके कारण इस माह में पड़ने वाले व्रतों और उपवासों की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है. पंचाग के अनुसार वैशाख माह के शुक्लपक्ष की एकादशी को 'मोहिनी एकादशी' (Mohini Ekadasi) का व्रत किया जाता है. वहीं इस साल पंचांग भेद होने के कारण 4 मई यानि आज ये व्रत किया जाना है.

आपको बता दें कि मोहिनी एकादशी पर व्रत और दान-पुण्य के साथ ही भगवान विष्णु की विशेष आराधना की जाती है. पौराणिक कथानुसार इस एकादशी का व्रत करने से हर तरह की कष्ट और जाने-अनजाने में किए गए पापों का विनाश हो जाता है. मोहिनी एकादशी व्रत के दौरान कुछ बातों का खासतौर से ध्यान रखा जाता है.

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जानें इस एकादशी को क्यों कहा जाता है 'मोहिनी एकादशी':

स्कंद पुराण के वैष्णवखंड के अनुसार इस दिन समुद्र मंथन से अमृत प्रकट हुआ था और इसे पीने के लिए देवता और दानवों के बीच विवाद छिड़ गया. इसके दूसरे ही दिन यानि 'द्वादशी' को भगवान विष्णु ने राक्षसों से अमृत की रक्षा के लिए मोहिनी रूप धारण किया था. उसके बाद 'त्रयोदशी' तिथि को भगवान विष्णु (Lord Vishu) ने देवताओं को अमृतपान करवाया था.

देवताओं को अमृतपान कराने के बाद आदि देव विष्णु ने चतुर्दशी तिथि को देव विरोधी दैत्यों का संहार किया और पूर्णिमा के दिन समस्त देवताओं को उनका देवलोक प्राप्त हुआ था. जिस दिन भगवान विष्णु मोहिनी रूप में प्रकट हुए थे उस दिन एकादशी तिथि थी और इसी मोहिनी रूप की पूजा 'मोहिनी एकादशी' के रूप में की जानें लगी.

वहीं धार्मिक शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम (Lord Rama) ने अपने गुरु वशिष्ठ मुनि से इस एकादशी के बारे में जाना था. मोहिनी एकादशी का महत्व संसार को बताने के लिए भगवान राम ने भी इस एकादशी का व्रत किया था. वहीं द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को इस व्रत को करने की सलाह दी थी.

जानें एकादशी तिथि मुहूर्त

-एकादशी तिथि प्रारंभ

03 मई 2020 रविवार सुबह 09 बजकर 9 मिनट से आरंभ होगा.

-एकादशी तिथि समाप्त

04 मई 2020 सोमवार सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी.

-पारण मुहूर्त

4 मई 2020 को सोमवार 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 50 मिनट.

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जानें इस एकादशी पर क्या-क्या करें

*मोहिनी एकादशी की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और उसके बाद तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें

*भगवान विष्णु की आराधना कर उनके सामने व्रत और दान का संकल्प ले

*इस एकादशी में दिनभर कुछ नहीं खाना चाहिए यदि संभव न हो सके तो फलाहार कर सकते हैं

*इस दिन में मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर दान करना चाहिए

*किसी मंदिर या अन्य देवस्थल पर भोजन या अन्न का दान करना चाहिए

*सुबह-शाम तुलसी के पास घी का दीपक जलाना चाहिए और तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए

*शाम होते ही आदि देव भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विधिनुसार पूजा करना चाहिए

जानें इस एकादशी के दिन क्या न करने से बचें

*मोहिनी एकादशी व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह देर तक नहीं सोना चाहिए

*अनुरागी को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए और गुस्सा नही करना चाहिए

*घर में किसी भी तरह का वाद-विवाद या क्लेश करने से बचना चाहिए

*लहसुन-प्याज और अन्य तरह की तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए

*किसी भी तरह का नशा न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें

*ईमानदारी से काम करना चाहिए और सभी तरह गलत कामों से बचना चाहिए

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