आश्विन मास पितृ पक्ष की नवमी के दिन परिवार के उन दिवंगत सदस्यों के लिए श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु नवमी तिथि पर हुई हो. इसके साथ-साथ यह तिथि दिवंगत महिला परिजनों के श्राद्ध के लिए भी सबसे उपयुक्त दिन माना जाता है. यहां बता दें कि परिवार में उन्हीं दिवंगतों का श्राद्ध करना चाहिए. जिनकी मृत्यु के एक वर्ष पूरे हो गये हों. क्योंकि मृत्यु से एक वर्ष तक मृतक प्रेतकाल में होता है. इस वर्ष मातृ नवमी का पर्व 7 अगस्त 2023, शनिवार को मनाया जाएगा. आइये जानते हैं मातृ नवमी की पूजा विधि, मंत्र एवं तमाम कर्मकांडों के बारे में विस्तार से
मातृ नवमी के नियम
गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से उनकी भटकती आत्मा को शांति मिलती है, इसलिए इस तिथि को मातृ नवमी के नाम से मनाया जाता है. अमूमन इस दिन सुहागन बहुएं अपनी सास का श्राद्ध कर्म करती हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सास की पसंद के अनुरूप भोजन बनाकर कौवे, कुत्ते और गाय को खिलाने से मृतात्मा को शांति प्राप्ति होती है, साथ ही श्राद्ध करने वाले का दाम्पत्य जीवन मधुर रहता है, परिवार पर किसी तरह की मुसीबत नहीं आती.
मातृ नवमी श्राद्ध मूल तिथि एवं मुहूर्त
नवमी प्रारंभः 08.08 AM (07अक्टूबर, 2023, शनिवार)
नवमी समाप्तः 10.12 AM (अक्टूबर 08, 2023, शनिवा)
कुतुप मूहूर्तः 11.45 AM से 12.32 PM तक (07 अक्टूबर 2023)
रोहिणी मूहूर्तः12:32 PM से 01:19 PM तक (07 अक्टूबर 2023)
मातृ नवमी पर पंचबली को भोग लगाने की विधि-विधान
आश्विन मास नवमी को स्नान-ध्यान के पश्चात श्राद्ध करने वाली महिलाएं स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर के बाहर रंगोली बनाएं. कुतुप एवं रोहिण मुहूर्त में श्राद्ध कर्म शुरू करें. घर के आंगन में कंडे जलाकर अपनी दिवंगत महिलाओं का ध्यान कर शुद्ध घी में पूड़ी, खीर, हलवा बनाएं. अब पंचबली (कौवा, कुत्ता, गाय, चींटी एवं देव) के लिए पत्तलों में सारे व्यंजन परोसें. धूप-दीप प्रज्वलित कर हथेली पर जल लेकर अंगूठे की नोक से दिवंगत सास के नाम से जल अर्पित करें. उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित करने से पूर्व जाने-अनजाने हुई गल्तियों के लिए छमा याचना करें.
सर्वप्रथम गाय के नाम का पत्तल सामने रखें और निम्न मंत्र पढ़ें. इसी तरह पंचबलि को एक-एक कर पत्तल परोसें और मंत्रोच्चारण करें.
गोबलि
ॐ सौरभेयः सर्वहिताः, पवित्राः पुण्यराशयः।।
प्रतिगृह्णन्तु में ग्रासं, गावस्त्रैलोक्यमातरः॥
इदं गोभ्यः इदं न मम्।।
कुकुर बलि
ॐ द्वौ श्वानौ श्यामशबलौ, वैवस्वतकुलोद्भवौ ।।
ताभ्यामन्नं प्रदास्यामि, स्यातामेतावहिंसकौ
॥इदं श्वभ्यां इदं न मम ॥
काक बलि
ॐ ऐन्द्रवारुणवायव्या, याम्या वै नैऋर्तास्तथा ।।
वायसाः प्रतिगृह्णन्तु, भुमौ पिण्डं मयोज्झतम् ।।
इदं वायसेभ्यः इदं न मम ॥
देव बलि
ॐ देवाः मनुष्याः पशवो वयांसि, सिद्धाः सयक्षोरगदैत्यसंघाः।।
प्रेताः पिशाचास्तरवः समस्ता, ये चान्नमिच्छन्ति मया प्रदत्तम्॥
इदं अन्नं देवादिभ्यः इदं न मम्।।
देव के नाम से निकला भोजन गाय अथवा किसी कन्या को खिला दें.
पिपीलिकादि बलि- (चींटियों के लिए)
ॐ पिपीलिकाः कीटपतंगकाद्याः बुभुक्षिताः कमर्निबन्धबद्धाः।।
तेषां हि तृप्त्यथर्मिदं मयान्नं, तेभ्यो विसृष्टं सुखिनो भवन्तु॥
इदं अन्नं पिपीलिकादिभ्यः इदं न मम।।
यह भोजन चींटियों को खिला दें.
इसके बाद पंचबली को भोजन कराएं. ध्यान रहे आज के दिन पंचबली का भोजन का बहुत महत्व होता है, तभी दिवंगत की आत्मा तृप्त होती है, और वे आशीर्वाद देती हैं.