सबरीमाला मंदिर (Photo Credits: IANS)
Makaravilakku 2020 Celebration: मकरविलक्कु केरल में मकर संक्रांति पर आयोजित एक वार्षिक उत्सव है. यह राज्य के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और सबरीमाला में भगवान अय्यपा मंदिर में मनाया जाता है. मकरविलक्कू 2020, 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस त्योहार को मकर ज्योति (Makara Jyothi ) के रूप में भी जाना जाता है. इस त्योहारके 41 दिन के उपवास ख़त्म होते हैं जो पवित्र मंदिर में जाने वाले पुरुष सबरीमाला की यात्रा पर निकलने से पहले रखते हैं. इस दिन मंदिर में चारों तरफ दीप प्रज्जवलित होते है.
बता दें कि करीब 5 लाख लोग शुभ सबरीमाला मंदिर में जाते हैं, जबकि हजारों लोग लाइव कवरेज देखते हैं. आइए मकरविलक्कु के बारे में और विस्तार से जानते हैं.
कब है मकरवल्लीक्कु 2020?
यह त्योहार 15 जनवरी, 2020 को मनाया जायेगा. जहां संक्रा. जहां संक्रांति मुहूर्त दोपहर 2.22 बजे शुरू होता है, वहीं मकरज्योति पूजा 7 बजकर 52 मिनट पर होगी. दुनियाभर के भगवान अयप्पा के भक्त इस दिन मकरज्योति महोत्सव को टीवी पर देखते हैं.
त्योहार
Team Latestly|
Jan 14, 2020 06:39 PM IST
सबरीमाला मंदिर (Photo Credits: IANS)
Makaravilakku 2020 Celebration: मकरविलक्कु केरल में मकर संक्रांति पर आयोजित एक वार्षिक उत्सव है. यह राज्य के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और सबरीमाला में भगवान अय्यपा मंदिर में मनाया जाता है. मकरविलक्कू 2020, 15 जनवरी को मनाया जाएगा. इस त्योहार को मकर ज्योति (Makara Jyothi ) के रूप में भी जाना जाता है. इस त्योहारके 41 दिन के उपवास ख़त्म होते हैं जो पवित्र मंदिर में जाने वाले पुरुष सबरीमाला की यात्रा पर निकलने से पहले रखते हैं. इस दिन मंदिर में चारों तरफ दीप प्रज्जवलित होते है.
बता दें कि करीब 5 लाख लोग शुभ सबरीमाला मंदिर में जाते हैं, जबकि हजारों लोग लाइव कवरेज देखते हैं. आइए मकरविलक्कु के बारे में और विस्तार से जानते हैं.
कब है मकरवल्लीक्कु 2020?
यह त्योहार 15 जनवरी, 2020 को मनाया जायेगा. जहां संक्रांति मुहूर्त दोपहर 2.22 बजे शुरू होता है, वहीं मकरज्योति पूजा 7 बजकर 52 मिनट पर होगी. दुनियाभर के भगवान अयप्पा के भक्त इस दिन मकरज्योति महोत्सव को टीवी पर देखते हैं.
मकर ज्योति कैसे मनाई जाती है?
मकर ज्योति को विभिन्न लोग अलग-अलग तरीके से मानते हैं. कई लोग इस दिन से पवित्र 41 दिन के उपवास को ख़त्म करते हैं. इस दौरान वे काली धोती और कमीज़ पहनते हैं और शारीरिक संबंधों, व्यसनों और कई अन्य चीजों से दूर रहते हैं. वे मकर ज्योति के लिए मंदिर में पहुंचते हैं और पारंपरिक रूप से शाम की आरती भाग लेते हैं.