Makar Sankranti 2021: मकर संक्रांति और परंपरा पतंगबाजी की! जानें क्या है इसके वैज्ञानिक तथ्य

माघ मास के पहले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ता है. स्नान-ध्यान-दान और विभिन्न परंपराओं के साथ-साथ इस पर्व का भरपूर मनोरंजन कराने वाला एक हिस्सा पतंगबाजी भी है.

प्रतिकात्मक तस्वीर (Photo Credits: File Image)

मकर संक्रांति,2021 : सनातन धर्म के लगभग हर पर्वों के साथ एक प्रसंग मनोरंजन का भी जुड़ा होता है, फिर वह चाहे दीपावली की आतिशबाजी हो अथवा होली का रंग, नये साल का आगाज दिलाने वाले मकर संक्रांति में वही खुशियां दिलाती हैं पतंग, जिसमें बच्चों से लेकर वृद्ध और महिलाएं तक शामिल होती हैं. मकर संक्रांति के दिन एक तरफ जमीन और जल यानी नदियों की लहरों पर पर्वों की छटा नजर आती है, वहीं नीले आकाश पर उड़ते रंग-बिरंगे पतंग पूरे माहौल में एक अजीब सी मस्ती बिखेर देती हैं. आखिर क्यों होती है मकर संक्रांति पर पतंगबाजी? क्या है इसके पीछे की वजह? महज मनोरंजन अथवा कोई आध्यात्मिक या वैज्ञानिक प्रसंग भी है? आइये जानते हैं.

माघ मास के पहले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह पर्व 14 जनवरी को पड़ता है. स्नान-ध्यान-दान और विभिन्न परंपराओं के साथ-साथ इस पर्व का भरपूर मनोरंजन कराने वाला एक हिस्सा पतंगबाजी भी है. इस अवसर पर न केवल हर उम्र और वर्ग के लोग पूरे उत्साह एवं उमंग के साथ पतंग उड़ाते हैं, बल्कि कई जगहों पर तो पतंगबाजी की बड़े स्तर पर प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं. पहले की पतंगें अधिकांशतया विभिन्न रंगों की होने के बावजूद एक ही डिजाइन की होती थीं, लेकिन ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में पतंगों के आकार और आकृतियों में भी परिवर्तन आया है. अब बात करेंगे कि मकर संक्रांति से पतंगबाजी का क्या संबंध है.

स्वास्थ्य से संबंध!

मकर संक्रांति के साथ पतंगबाजी का सीधा सरोकार तो नहीं है, मगर हां यह सेहत के लिए लाभदायक जरूर होती हैं. दरअसल कड़कती सर्दी के इस मौसम में लोगबाग कंबल और रजाइयों में घुसे होते हैं, जबकि वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तरायण के इस दिन जब सूर्य अपनी दिशा-दशा बदलता है तो कुछ समय सूर्य की रोशनी में रहने से शरीर की बहुत सारी समस्याएं खुद-ब-खुद दूर हो जाती हैं. विज्ञानियों के अनुसार उत्तरायण में सूर्य की किरणें औषधीय गुणों से युक्त होती हैं. ऐसी स्थिति में छतों अथवा खुली जगहों पर पतंग उड़ाते समय सूर्य की ये किरणें शरीर को भीतर और बाहर से तमाम व्याधियों से सुरक्षा करती हैं.

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मकर संक्रांति में पतंगबाजी मस्ती और जोश से भरी पूरी होती है, लेकिन जोश के साथ होश में रहकर पतंग उड़ाएं तो ही इस परंपरा का सही आनंद प्राप्त होगा. इसके लिए कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.

* पतंग उड़ाने के लिए सही स्थान का चुनाव करें. छत पर तभी पतंग उड़ाएं, जब उसके चारों ओर कम से कम चार फीट की दीवार हो. खुली छत पर पतंग उड़ाना घातक हो सकता है.

* चाइना मेड मांझे का प्रयोग न करें. अगर आप स्वयं मांझा बनाते हैं तो इसमे बल्ब के चूरों का प्रयोग न करें. यह भी पढ़ें : Makar Sankranti 2021 Rangoli Designs: मकर संक्रांति पर घर के मुख्य द्वार पर बनाए मनमोहक रंगोली, देखें लेटेस्ट डिजाइन के ट्यूटोरियल वीडियोज

* पतंग उड़ाते समय आंखों पर सन स्क्रीन एवं गॉगल्स का प्रयोग अवश्य कर लें. इससे सूर्य की तीक्ष्ण किरणों से त्वचा और आंखें सुरक्षित रहती हैं.

* पेंच लड़ाते वक्त हाथों में दास्ताने अवश्य पहनें, इससे तेज मांझे से हाथ कटने का जोखिम कम होता है.

* अगर बच्चे पतंग उड़ा रहे हैं तो बड़ों को उन पर नजर रखनी चाहिए. क्योंकि पतंग उड़ाते समय बच्चों के साथ आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं.

* पतंग उड़ाते अथवा पेंच लड़ाते समय इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए आपके मांझे से पड़ोस की छत पर रहने वाले घायल न होने पायें. क्योंकि चायनीज मांझे से अकसर दूसरों के गला कटने की घटनाएं सुनने को मिलती हैं.

* अगर खुले मैदान में पतंग उड़ा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आसपास कोई खुला कुआं अथवा गड्ढे नहीं हैं.

* पतंगबाजी करते समय सड़क पर लगे इलेक्ट्रिक पोल का भी ध्यान रखें. क्योंकि आजकल धातु मिक्स मांझे आ रहे हैं, ये बहुत जोखिमपूर्ण होते हैं

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