Mahashivratri 2021: वैसे तो हर महीने में शिवरात्रि (Shivratri) मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है, इसलिए इसे महाशिवरात्रि (Mahashivratri) कहा जाता है, जिसे तमाम शिवभक्त बहुत धूमधाम से मनाते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 (गुरुवार) के दिन मनाई जाएगी. महाशिवरात्रि का अर्थ है भगवान शिव की रात्रि. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन शिवभक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती और भोलेनाथ की कृपा भक्तों पर बनी रहती है. चलिए जानते हैं महाशिवरात्रि पर कौन से दुर्लभ योग बन रहे हैं. इसके साथ ही शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व क्या है.
बन रहे हैं ये दुर्लभ योग
11 मार्च यानी महाशिवरात्रि की सुबह 9.24 बजे तक शिव योग रहेगा. इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा जो 12 मार्च को सुबह 8.29 बजे तक रहेगा. इसके साथ ही रात 9.45 बजे तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा. ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, शिव योग में किए गए सभी मंत्र शुभफलदायक होते हैं.
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि 2021- 11 मार्च 2021 (गुरुवार)
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 11 मार्च 2021 दोपहर 02.41 बजे से,
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च 2021 दोपहर 03.04 बजे तक.
महानिशीथ काल- 11 मार्च 2021 रात 11.44 बजे से रात 12.33 बजे तक.
निशीथ काल पूजा मुहूर्त- रात 12.06 बजे से 12.55 बजे तक.
कुल अवधि- 48 मिनट
पारण मुहूर्त- 12 मार्च 2021 सुबह 6.36 बजे से दोपहर 03.04 बजे तक.
महाशिवरात्रि पूजा विधि
भगवान शिव वैसे तो शिवलिंग पर जल अर्पित करने मात्र से ही अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ कहते हैं. हालांकि महाशिवरात्रि भगवान शिव की विशेष रात्रि है, इसलिए इस दिन उनकी विशेष पूजा करनी चाहिए. महाशिवरात्रि के दिन बिल्वपत्र, शहद, दूध, दही, शक्कर, गंगाजल, जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.
इसके अलावा धतूरा, भांग, चंदन, धूप, दीप और अगरबत्ती से उनकी पूजा करनी चाहिए. वहीं कहा जाता है कि शिवलिंग का अभिषेक करने के लिए रात्रि के पहले प्रहर में दूध, दूसरे में केसर, तीसरे में घी और चौथे प्रहर में शहद का उपयोग करना चाहिए. इस दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जप करना चाहिए. यह भी पढ़ें: March 2021 Festival Calendar: मार्च में मनाएं जाएंगे महाशिवरात्रि और होली जैसे बड़े पर्व, देखें इस महीने पड़ने वाले व्रत व त्योहारों की लिस्ट
महाशिवरात्रि का महत्व
इसमें कोई दो राय नहीं है कि महाशिवरात्रि भगवान शिव के सभी भक्तों के लिए बेहद खास होती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच आते हैं और उनकी समस्त मनोकामनाएं पूरी करते हैं. हालांकि पौराणिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन सृष्टि का आरंभ हुआ था. वहीं कहा यह भी जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को महानिशीथकाल में आदिदेव भगवान शिव करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले लिंग के रूप में प्रकट हुए थे.
कई अन्य प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसका जिक्र गरुड़ पुराण, स्कंद पुराण, पद्म पुराण और अग्नि पुराण में भी मिलता है. कहा जाता है कि इस दिन जो भक्त बेलपत्रों से भगवान शिव की पूजा करता है और रात्रि के समय जागकर उनके मंत्रों का जप करता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.