Maharana Pratap Jayanti 2024 Wishes: महाराणा प्रताप जयंती पर इन हिंदी Quotes, Facebook Messages, WhatsApp Status को शेयर कर दें शुभकामनाएं
अंग्रेजी कैलेंडर और हिंदू पंचांग के हिसाब से महाराणा प्रताप जी की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है. उनके जन्मोत्सव को हरियाणा, राजस्थान के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है. साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, फेसबुक मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टेटस को शेयर कर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Maharana Pratap Jayanti 2024 Wishes in Hindi: भारत के वीर और शूरवीर योद्धा महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) को मेवाड़ का शेर भी कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, उनका जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ में हुआ था, इसलिए हर साल 9 मई को महाराणा प्रताप जयंती (Maharana Pratap Jayanti) धूमधाम से मनाई जाती है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार, महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था, इसलिए इस साल तिथि के हिसाब से 9 जून को महाराणा प्रताप जयंती मनाई जा रही है, जो न सिर्फ राजस्थान के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए बेहद खास दिन है. भारत के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध राजपूत योद्धाओं में से एक महाराणा प्रताप अपनी वीरता और साहस के लिए जाने जाते हैं. 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर के खिलाफ उनकी वीरता और अदम्य साहस की कहानियां आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं.
अंग्रेजी कैलेंडर और हिंदू पंचांग के हिसाब से महाराणा प्रताप जी की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है. उनके जन्मोत्सव को हरियाणा, राजस्थान के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है. साथ ही शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है. ऐसे में इस खास अवसर पर आप इन हिंदी विशेज, कोट्स, फेसबुक मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टेटस को शेयर कर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
मेवाड़ के राणा उदय सिंह और महारानी जयवंता बाई के पुत्र महाराणा प्रताप बचपन से ही साहसी, युद्ध कला में निपुण और ईश्वर के अनुयायी थे. चेतक उनका सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसके साथ वे घुड़सवारी से लेकर युद्ध के मैदान तक विजय का पताका लहराते थे. 18 जून 1576 को हल्दी घाटी की लड़ाई हुई थी, जिसमें महाराणा प्रताप ने अपनी छोटी सेना के साथ अकबर की विशालकाय सेना का सामना किया था. इस युद्ध में न तो अकबर की जीत हुई थी और ही महाराणा प्रताप हारे थे.