Maharana Pratap Death Anniversary 2024 Quotes: राजस्थान (Rajasthan) स्थित मेवाड़ (Mewad) की धरती को मुगलों के आतंक से बचाने वाले महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि (Maharana Pratap Punyatithi) हर साल 19 जनवरी को मनाई जाती है. वैसे तो भारत के गौरवशाली इतिहास में कई राजाओं का जिक्र किया गया है, लेकिन उन सब में महाराणा प्रताप (Maharana Pratap) को वीर सम्राट, साहसी योद्धा, महान राष्ट्रभक्त और पराक्रमी राजा के तौर पर बताया गया है. महाराणा प्रताप मेवाड़ के एक ऐसे महान योद्धा और युद्ध रणनीति में कुशल राजा थे, जिन्होंने कई बार मुगलों के हमलों से मेवाड़ और यहां की जनता की रक्षा की. उनके जीवन में कई विकट परिस्थितियां आईं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपना सिर किसी दुश्मन के सामने झुकने नहीं दिया. उनकी वीरता के किस्से आज भी सुनाए जाते हं और उनका नाम इतिहास के पन्नों में एक महान राजा के तौर पर दर्ज है.
मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था. उनके पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम महारानी जयवंता बाई था. उनका निधन 19 जनवरी 1597 को हुआ था. महाराणा प्रताप राजनीतिज्ञ, कुटनीतिज्ञ, मानसिक और शारीरिक क्षमता में अद्वितीय थे. महान राजपूत राजा महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर आप इन हिंदी कोट्स, मैसेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, फोटो एसएमएस को भेजकर उन्हें शत-शत नमन कर सकते हैं.
1- वीरों के साथ ही वीर रहते हैं,
राणा के घोड़े को चेतक कहते हैं,
आज उस वीर योद्धा की पुण्यतिथि है,
जिसे हम महाराणा प्रताप कहते हैं.
महाराणा प्रताप को शत-शत नमन
2- शौर्य की एक नई परिभाषा लिखी थी,
बुलंदी की एक नई गाथा लिखी थी,
मरे हुए भारत में जिसने नई जान फूंकी थी,
उस महाराणा प्रताप को विनम्र श्रद्धांजलि.
महाराणा प्रताप को शत-शत नमन
3- साहस का प्रतीक नीले घोड़े पर सवार,
वीरता का प्रतीक मेवाड़ी सरदार,
हिंदुओं की शान है आज भी,
जिनका नाम है महाराणा प्रताप.
महाराणा प्रताप को शत-शत नमन
4- सूरज का तेज भी फीका पड़ता था,
जब राणा तू अपना मस्तक ऊंचा करता था,
थी राणा तुझमें कोई बात निराली,
इसलिए अकबर भी तुझसे डरता था.
महाराणा प्रताप को शत-शत नमन
5- राष्ट्र और धर्म की रक्षा हेतु,
अपना जीवन अर्पण करने वाले,
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि पर,
उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि...
महाराणा प्रताप को शत-शत नमन
महाराणा प्रताप की वीरता से जुड़े कई किस्से प्रचलित हैं, जिनमें से एक है हल्दी घाटी की लड़ाई से जुड़ा किस्सा... स्कूल और कॉलेजों में आज भी मुगल शासक अकबर और महाराणा प्रताप की हल्दी घाटी की लड़ाई के बारे में पढ़ाया जाता है. कहा जाता है कि महाराणा प्रताप को मेवाड़ का शासन अकबर की अधीनता में किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं था. महाराणा प्रताप द्वारा अकबर की अधीनता में मेवाड़ का शासन चलाने से इनकार करने के बाद 18 जून 1576 को हल्दी घाटी में युद्ध छिड़ गया. इस युद्ध में महाराणा प्रताप अपनी छोटी सी सेना के साथ अकबर की विशाल सेना से लड़ रहे थे, छोटी सी सेना होने के बावजूद न तो महाराणा प्रताप इस युद्ध में हारे थे और न ही अकबर इस युद्ध को जीत सका था.