Mahaparinirvan Diwas 2024 Messages: महापरिनिर्वाण दिवस पर करें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को नमन, अपनों को भेजें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Status और Photo SMS
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक ऐसे राजनेता थे, जो अपने सामाजिक कार्यों की व्यस्तता के बावजूद समय निकालकर पढ़ना-लिखना पसंद करते थे. समाज और दलितों के उत्थान के लिए किए गए सरहानीय कार्यों के लिए उन्हें याद किया जाता है. ऐसे में महापरिनिर्वाण दिवस पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टेटस और फोटो एसएमएस को भेजकर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
Mahaparinirvan Diwas 2024 Messages in Hindi: भारतीय संविधान के रचयिता (Father of Indian Constitution) डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) की पुण्यतिथि हर साल 6 दिसंबर को मनाई जाती है. डॉ. भीमराव आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था, इसलिए उनकी पुण्यतिथि को देशभर में महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के तौर पर मनाया जाता है. दरअसल, रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई के घर जन्में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर अपने माता-पिता की चौदहवीं संतान थे. वे बचपन से ही काफी प्रतिभाशाली थे, लेकिन छोटी जाति में जन्म लेने की वजह से उन्हें बचपन से ही कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. समाज में फैले छूआछूत और जातिगत भेदभाव के चलते उनके पिता ने स्कूल में उनका सरनेम सकपाल की जगह अंबडवेकर लिखवाया था, लेकिन कृष्णा महादेव आंबेडकर नाम के ब्राह्मण शिक्षक ने उनके नाम से अंबडवेकर हटाकर उनके साथ अपना सरनेम आंबेडकर जोड़ दिया, जिसके बाद उनका सरनेम आंबेडकर हो गया.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर एक ऐसे राजनेता थे, जो अपने सामाजिक कार्यों की व्यस्तता के बावजूद समय निकालकर पढ़ना-लिखना पसंद करते थे. समाज और दलितों के उत्थान के लिए किए गए सरहानीय कार्यों के लिए उन्हें याद किया जाता है. ऐसे में महापरिनिर्वाण दिवस पर आप इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप स्टेटस और फोटो एसएमएस को भेजकर डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को नमन करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल सन 1891 को मध्य प्रदेश के छोटे से गांव महू में हुआ था. महार जाति में जन्म लेने के कारण उन्हें लोग अछूत और निचली जाति का मानते थे. इसी के चलते उन्हें अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. सामाजिक भेदभाव, जातिवाद और छूआछूत का सामना करने वाले भीमराव आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज के गरीबों, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. समाज में फैली छुआछूत, जातिवाद और भेदभाव जैसी कुरीतियों को खत्म करने के लिए उन्होंने कई आंदोलन भी किए.