Krishna Janmashtami 2023 HD Images: शुभ कृष्ण जन्माष्टमी! इन मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Greetings, Photo SMS, Wallpapers के जरिए दें बधाई
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ध्यान, जप, भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद वैकुंठ में स्थान मिलता है. ऐसे में आप इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस और वॉलपेपर्स के जरिए कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दे सकते हैं.
Krishna Janmashtami 2023 HD Images: आज (06 सितंबर 2023) देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) का त्योहार मनाया जा रहा है, जबकि हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कान्हा का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान श्रीहरि (Shri Hari) के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. उनके जन्म लेते ही समस्त पृथ्वी मंगलमय हो गई थी और उनके प्राकट्य से स्वर्ग में देवताओं की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. जन्माष्टमी पर कान्हा को पीले चंदन या केसर का तिलक लगाया जाता है, साथ ही उन्हें मुकुट और बांसुरी अर्पित की जाती है. कान्हा के बाल-गोपाल स्वरूप को पंचामृत से अभिषेक कराकर उन्हें नए वस्त्र पहनाकर, झूला झुलाया जाता है. इसके बाद उन्हें तुलसी डालकर माखन-मिश्री और धनिए की पंजीरी का भोग लगाया जाता है.
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ध्यान, जप, भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण का विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद वैकुंठ में स्थान मिलता है. ऐसे में आप इन मनमोहक एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, फोटो एसएमएस और वॉलपेपर्स के जरिए कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दे सकते हैं.
1- कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं
2- कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई
3- शुभ कृष्ण जन्माष्टमी
4- कृष्ण जन्माष्टमी 2023
5- हैप्पी कृष्ण जन्माष्टमी
शास्त्रों में कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को एक हजार एकादशी व्रत के समान माना गया है. हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा सभी संकटों से निकालकर सुख-समृद्धि और सौभाग्य का वरदान देने वाली मानी गई है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजन स्थल पर माता देवकी और श्रीकृष्ण की मूर्ति को पालने में स्थापित करें. विधि-विधान से कान्हा की पूजा करें और फिर रात्रि में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं.