Kojagiri Purnima 2020 Mehndi Designs: कोजागरी पूर्णिमा (Kojagiri Purnima) का सनातन धर्म में खास महत्व माना गया है. कोजागरी पूर्णिमा की शुरुआत 30 अक्टूबर से होगी और 31 अक्टूबर को सायंकाल पर समाप्त होगी. कोजागरी पूर्णिमा को ही शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima), रास पूर्णिमा (Raas Purnima), कौमुदी पूर्णिमा (Kaumudi Purnima) इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार, साल भर में जितनी भी पूर्णिमा की तिथियां होती हैं, उनमें कोजागरी पूर्णिमा का सबसे ज्यादा महत्व होता है. इस दिन को लेकर तमाम तरह की मान्यताएं एवं किंवदंतिया प्रचलित हैं. यह पर्व अश्विन मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन आता है. इस पूर्णिमा को कौमुदी उत्सव इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) ने अपनी माया से तमाम रूप धर कर गोपियों के साथ नृत्य किया था.
ऐसी मान्यता है कि इस रात नवविवाहित लोगों के घर खास तौर पर दूल्हे के घर उत्सव का माहौल होता है. इस दिन दही, धान, पान, सुपारी, मखाना, चांदी के कछुए, मछ्ली, कौड़ी के साथ दूल्हे का पूजन किया जाता है. इस दिन वधूपक्ष की ओर से दुल्हे और उसके घर के सभी सदस्यों के लिए नए कपड़े मिठाई और मखाना आता है. कोजागरी पर्व पर मखाना का बहुत महत्व होता है. वर पक्ष के लोग अपनी क्षमता के मुताबिक, गांव के लोगों को निमंत्रण देकर पान, सुपारी और मखाना से उनका स्वागत करते हैं. इस शुभ अवसर पर महिलाएं अपने हाथों और पैरों में मेहंदी रचाती हैं. किसी भी पर्व में मेहंदी को शुभ माना जाता है.
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हथेली मेहंदी डिजाइन
अपने पैरों की सुंदरता बढ़ानें के लिए लगाएं यह आसान और आकर्षक मेहंदी
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गहरे रंग में रची मेहंदी वाले हाथ और उसकी महक तीज-त्योहार या शादी के माहौल को सुहाना कर देते हैं. अगर आप अपनें मेहंदी का रंग और गहरा कारण चाहती हैं तो इन टिप्स को जरुर फॉलो करें. मेहंदी लगाने से पहले हाथों को अच्छे से साफ करें और नीलगिरी या मेहंदी का तेल जरूर लगाएं. अधिक समय तक मेहंदी को अपने हाथों में लगाएं रखें. मेहंदी जब हल्की-हल्की सूख जाए, तो उसके उपर नींबू और शक्कर का मिश्रण लगाएं, ताकि वह सूखने के बाद निकले नहीं. जब भी मेहंदी को अपने हाथ से निकालें, हाथों पर पानी न लगनें दें.