Kargil Vijay Diwas 2020: 26 जुलाई का दिन हर हिंदुस्तानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे देशभर में कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के रूप में मनाया जाता है. इस साल देश कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ (21st Anniversary Of Kargil Vijay Diwas) मना रहा है. बता दें कि 26 जुलाई 1999 को भारतीय सेना (Indian Army) ने विपरित परिस्थियों में भी पाकिस्तान को अपने आगे घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. करीब 74 दिन तक चले युद्ध के बाद इसी दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान (Pakistan) को हराकर अपनी जीत का तिरंगा लहराया था. कारगिल युद्ध (Kargil War) को ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) के नाम से भी जाता है. इस दिन कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की शहादत को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है. उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी.
भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध साल 1999 में मई से जुलाई के बीच हुआ था. करीब 74 दिन चले इस युद्ध का अंत 26 जुलाई 1999 को हुआ था. दोनों मुल्कों के बीच इस युद्ध की शुरुआत तब हुई जब यह पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके भारतीय सीमा में घुसपैठ की और कोलोलिंग हाइट्स, टाइगर हिल व प्वाइंट 4875 (बत्रा टॉप) समेत अन्य सामरिक चोटियों पर कब्जा जमा लिया. इन चोटियों से श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग को आसानी से निशाना बनाया जा सकता था. चलिए जानते हैं कैसे विपरित परिस्थियों में भी भारतीय सेना ने पाकिस्तान को न सिर्फ घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया, बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ फतह भी हासिल की. यह भी पढ़ें: Kargil Vijay Diwas: भारतीय सेना के साहस और जांबाजी की कहानी है यह युद्ध, विपरीत परिस्थितियों में पाकिस्तान को चटाई थी धूल, जानें 10 बड़ी बातें
कारगिल युद्ध से जुड़ी खास बातें-
- कश्मीरी उग्रवादियों और पाकिस्तान की सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके भारत की जमीन पर कब्जा जमाने की हिमाकत की थी. करीब 5000 पाक सैनिकों ने घुसपैठ कर कारगिल की ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था.
- पाक सेना की इस हरकत की जानकारी मिलते ही तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पाक सैनिकों को देश की सीमा से खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया.
- एक चरवाहे ने 3 मई 1999 को कारगिल में पाक सेना द्वारा घुसपैठ कर कब्जा जमाने की सूचना भारतीय सेना को दी थी, जिसके बाद 8 मई को कारगिल युद्ध शुरु हुआ.
- यह युद्ध करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई से लड़ा गया था. इस युद्ध में थल सेना के अलावा वायुसेना का भी उपयोग किया गया था.
- भारतीय सेना जमीन से बोफोर्स के गोले दाग रही थी तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय वायुसेना ने पाक के खिलाफ मिग-27 और मिग-29 का इस्तेमाल किया था.
- पाकिस्तान ने जहां कब्जा किया था वहां बम भी गिराए गए. इस युद्ध में भारतीय सेना ने रॉकेट और बम का इस्तेमाल किया. इस युद्ध के दौरान करीब 2 लाख 50 हजार गोले दागे गए थे.
- करीब 5 हजार बमों को फायर करने के लिए 300 से ज्यादा मोर्टार, तोपों और रॉकेट लॉन्चर का उपयोग किया गया था. कहा जाता है कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद यह पहला ऐसा युद्ध था जिसमें दुश्मन की सेना पर इतनी बड़ी संख्या में बमबारी की गई थी.
- कारगिल युद्ध में सबसे ज्यादा परेशानी भारतीय सेना को हुई, क्योंकि हमारी सेना पहाड़ी नीचे मौजूद होकर पाकिस्तान का सामना कर रही थी, जबकि पाकिस्तान की सेना पहाड़ी के ऊपर से भारत के सैनिकों पर हमला कर रही थी. बावजूद इसके भारत के वीर जवानों ने कारगिल में फतह हासिल की और तिरंगा लहराया. यह भी पढ़ें: Kargil Vijay Diwas: आन-बान और शान का है विजय दिवस, पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को रौंद कर जवानों ने आज ही के दिन लहराया था फतेह का तिरंगा
- कारगिल युद्ध में देश ने 527 से ज्यादा जवानों को खो दिया था, जबकि इस जंग में 1363 जवान घायल हुए थे. विपरित परिस्थितियों में भी हमारे देश के जवानों के हौसले इतने बुलंद थे कि उन्होंने पाकिस्तान की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया.
गौरतलब है कि 8 मई को कारगिल में युद्ध शुरू होने के बाद 11 मई को भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने थल सेना की सहायता करना शुरू कर दिया था. गहरी खाई में रहकर पाक की सेना का मुकाबला करना बेहद मुश्किल था, लिहाजा भारतीय जवान किसी आड़ के सहारे या रात में चढ़ाई कर पाकिस्तानी सैनिकों को मुहंतोड़ जवाब दे रहे थे. इस युद्ध में पाकिस्तान की सेना के 3 हजार जवानों को भारतीय सैनिकों ने मार गिराया था.