Kamada Ekadashi 2019: कामदा एकादशी के व्रत से मिलती है प्रेत योनि से मुक्ति, कथा सुनने मात्र से ही भक्तों के समस्त पापों का होता है नाश
भगवान विष्णु (Photo Credits: Facebook)

Kamada Ekadashi 2019: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Ekadashi) तिथि को कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी 15 अप्रैल यानी आज है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी तिथि भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) को अतिप्रिय है और सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को श्रेष्ठ बताया गया है. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने से भक्तों की समस्त सांसारिक कामनाओं की पूर्ति होती है और उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने और विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. कहा जाता है जो भी भक्त इस दिन श्रद्धाभाव से व्रत करता है उसके समस्त पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद व्यक्ति को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है.

कामदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन व्रत रखने और कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. चलिए जानते हैं कामदा एकादशी का महत्व(Importance), व्रत विधि (Vrat Vidhi) और कथा (Katha).

कामदा एकादशी का महत्व

तमाम व्रतों और उपवासों में एकादशी के व्रत को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. एकादशी महीने में दो बार पड़ती है एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में. एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण या उनके अवतारों की पूजा की जाती है. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की सभी सांसारिक इच्छाएं पूरी होती हैं, उनके समस्त पापों का नाश होता है, व्यक्ति को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के पश्चात स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

शुभ मुहूर्त-

कामदा एकादशी का व्रत- 15 अप्रैल 2019

व्रत का पारण- 16 अप्रैल 2019 सूर्योदय के बाद.

व्रत की कथा-

प्राचीन काल में राजा दिलीप ने इस व्रत के माहात्म्य को अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था. जिसके मुताबिक, भोगीपुर नामक नगर में पुण्डरीक नामक राजा राज करते थे. इस नगर में अप्सराएं, किन्नर और गंधर्व भी वास करते थे. उनमें से ललिता और ललित में अत्यंत स्नेह था. एक दिन गंधर्व ललित राजा के दरबार में गाना गा रहा था, तभी उसे पत्नी की याद आ गई, जिसके चलते उसका स्वर, लय और ताल बिगड़ने लगा. इस बात को कर्कट नामक नाग ने अपने राजा से कह दिया. राजा ने क्रोध में आकर ललित को राक्षस होने का श्राप दिया. तत्पश्चात ललित की पत्नी ने कामदा एकादशी का व्रत किया और उसका फल अपने पति को दे दिया. जिसके बाद उसके पति को राक्षस योनि से मुक्ति मिली. इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से उपासक ब्रह्म हत्या जैसे पाप और पिशाच योनी से भी मुक्ति हो जाते हैं. यह भी पढ़ें: Ekadashi Vrat In Year 2019: एकादशी के दिन व्रत करने पर बेहद प्रसन्न होते हैं भगवान विष्णु, देखें साल 2019 में पड़नेवाली तिथियों की पूरी लिस्ट

व्रत विधि-

कामदा एकादशी के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु का दूध, फूल, फल, पंचामृत, तिल आदि से पूजा करें. घी का दीपक जलाएं फिर व्रत कथा पढ़ें या सुने. रात में सोने के बजाय भजन-कीर्तन करें और अगले दिन ब्राह्मण को भोजन ग्रहण कराएं, उन्हें मिष्ठान्न एंव दक्षिणा देकर अपने व्रत का पारण करें.

मंत्र- ओम् नमो भगवते वासुदेवाय  मंत्र का 108 बार जप करें.

सावधानियां-

इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू का सेवन करने से परहेज करना चाहिए. व्रत रखने वालों को काम, भोग-विलास, दूसरों की बुराई करना, झूठ बोलना जैसी चीजों से दूर रहना चाहिए. इस दिन मूली और मसूर की दाल का सेवन करने से बचना चाहिए. व्रत रखने के बाद अगले दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए.