Kajari Teej 2024 Last Minute Mehndi Designs: कजरी तीज पर लास्ट मिनट मेहंदी डिजाइन्स से बढ़ाएं इस पर्व की शुभता (Watch Videos)
कजरी तीज के दिन महिलाएं नए वस्त्र धारण करके सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने हाथों में पिया के नाम की मेहंदी रचाती हैं. मेहंदी के बिना यह पर्व अधूरा सा लगता है. अगर आपने अभी तक अपने हाथों में मेहंदी नहीं रचाई है तो हम आपके लिए लेकर आए हैं लास्ट मिनट मेहंदी डिजाइन्स, जिन्हें आप अपने हाथों में अप्लाई कर सकती हैं.
Kajari Teej 2024 Last Minute Mehndi Designs: आज (22 अगस्त 2024) विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से कजरी तीज का पर्व मना रही हैं. दरअसल, हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज (Kajari Teej) का पर्व मनाया जाता है. कजरी तीज को कजली तीज, बड़ी तीज, बूढ़ी तीज या सतूरी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन जौ, चने, चावल और गेहूं के सत्तू बनाए जाते हैं, फिर उसमें घी और मेवा मिलाकर कई प्रकार के भोजन बनाए जाते हैं, उसके बाद रात्रि में चंद्रमा की पूजा करके व्रत का पारण करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने 108 साल तक तपस्या की थी, तभी से इस पर्व को कजरी तीज या कजली तीज के रूप में मनाया जाने लगा.
हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज में भी सोलह श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. इस दिन महिलाएं नए वस्त्र धारण करके सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने हाथों में पिया के नाम की मेहंदी रचाती हैं. मेहंदी के बिना यह पर्व अधूरा सा लगता है. अगर आपने अभी तक अपने हाथों में मेहंदी नहीं रचाई है तो हम आपके लिए लेकर आए हैं लास्ट मिनट मेहंदी डिजाइन्स, जिन्हें आप अपने हाथों में अप्लाई कर सकती हैं.
लेटेस्ट हार्ट अरेबिक मेहंदी डिजाइन
ईजी स्टाइलिश तीज मेहंदी डिजाइन
फ्रंट हैंड सिंपल मेहंदी डिजाइन
तीज स्पेशल सुंदर मेहंदी डिजाइन
आसान और स्टाइलिश मेहंदी डिजाइन
गौरतलब है कि कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में मुख्य तौर पर मनाए जाने वाले इस पर्व को कजली तीज (Kajali Teej) के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव (Bhagwan Shiv) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा-अर्चना की जाती है. इसके साथ ही इस दिन नीमड़ी माता की पूजा बहुत कल्याणाकारी मानी गई है. इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से व्रत करती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं.