Kabir Das Jayanti 2022 Messages: संत कबीर दास जयंती की इन हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, Facebook Greetings के जरिए दें शुभकामनाएं
संत कबीर दास जी ने अपने जीवन काल में अपने दोहों और कविताओं के माध्यम से संपूर्ण भारतीय जनमानस पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा. ऐसे में उनकी जयंती पर उनके दोहों और कविताओं का जिक्र न हो ऐसा कैसे हो सकता है? इस अवसर पर आप संत कबीर दास के इन दोहों, मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को कबीर जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Kabir Das Jayanti 2022 Messages in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को संत कबीर दास जी की जयंती (Sant Kabir Das Jayanti) मनाई जाती है. इस साल कबीर जयंती (Kabir Jayanti) का पर्व 14 जून 2022 को मनाया जा रहा है. संत कबीर दास जी (Sant Kabir Das Ji) के जन्म के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध तो नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि उनका जन्म काशी में 1398 ईस्वी में हुआ था. संत कबीर दास जी ने अपने जीवन काल में समाज में फैली बुराइयों और अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया. अपनी लेखनी के जरिए उन्होंने समाज में फैले आडंबरों पर कड़ा प्रहार किया. कबीर दास जी न सिर्फ एक संत थे, बल्कि वो एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे. उन्होंने लोगों को अपने दोहों के जरिए जीवन जीने की सीख दी है. उनके दोहे आज भी काफी प्रचलित हैं और लोग उन्हें गुनगुनाना या सुनना काफी पसंद करते हैं.
संत कबीर दास जी ने अपने जीवन काल में अपने दोहों और कविताओं के माध्यम से संपूर्ण भारतीय जनमानस पर अपना अमिट प्रभाव छोड़ा. ऐसे में उनकी जयंती पर उनके दोहों और कविताओं का जिक्र न हो ऐसा कैसे हो सकता है? इस अवसर पर आप संत कबीर दास के इन दोहों, मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज और फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को कबीर जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान।
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान॥
कबीर जयंती की शुभकामनाएं
2-साईं इतना दीजिए, जा में कुटुंब समाय।
मैं भी भूखा न रहूं, साधु ना भूखा जाय॥
कबीर जयंती की शुभकामनाएं
3- पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥
कबीर जयंती की शुभकामनाएं
4- माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर।
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर॥
कबीर जयंती की शुभकामनाएं
5- गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, का के लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोबिंद दियो बताय॥
कबीर जयंती की शुभकामनाएं
कबीर दास जी के जन्म से जुड़े कई मतभेद मिलते हैं. कुछ तथ्यों के आधार पर कहा जाता है कि रामानंद गुरु के आशीर्वाद से एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उनका जन्म हुआ था, लेकिन लोक-लाज के डर से उन्होंने कबीर दास को काशी में लहरतारा नामक तालाब के पास छोड़ दिया था. जिसके बाद उनकी परवरिश निसंतान नीरू और नीमा नाम के दपंत्ति ने की, जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि कबीर दास जन्म से ही मुस्लिम थे और गुरु रामानंद से ज्ञान की प्राप्ति हुई थी.