हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन हुआ था. इस दिन पूरे देश में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इन दिनों जहां कृष्ण मंदिरों की रौनक और भव्यता देखते बनती है, वहीं घर-घर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की झांकियां भी सजती हैं. इस दिन श्रीकृष्ण प्रेमी पूरे दिन उपवास रखते हुए रात बारह बजे श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सेलीब्रेट करते हैं. श्रीकृष्ण बहुत जल्दी अपने भक्तों पर प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसे में इस बात का जरूर ध्यान रखें कि कृष्ण जन्मोत्सव पर विशेष रूप से कैसे उनकी पूजा अर्चना करें और किन बातों से परहेज रखें.
क्या करें-
मनोकामना के अनुरूप करें श्रीकृष्ण की मूर्ति का चयन
आमतौर पर भादों माह की कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है. श्रीकृष्ण की मूर्ति कैसी हो यह आपकी पसंद पर निर्भर करता है. कहीं संतान प्राप्ति के लिए झूले पर बाल कृष्ण को झुलाते हुए पूजा करते हैं तो कहीं प्रेम और दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है. मान्यता है कि सच्चे मन से की गयी पूजा पूर्णतः फलित होती है. श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के इस अवसर पर कहीं-कहीं शंख और शालिग्राम की स्थापना एवं अनुष्ठान करने की भी परंपरा है.
फूलों से करें श्रृंगार
भगवान श्रीकृष्ण को फूलों से विशेष प्यार है. इसलिए इस अवसर पर श्रीकृष्ण एवं उनके झूलों को विभिन्न किस्म के खुशबूदार फूलों से सजाया जाता है. इसके लिए काफी फूलों की जरूरत होती है. कोशिश करें कि पारिजात एवं वैजयंती फूलों से ही श्रृंगार करें. इस दौरान श्रीकृष्ण की सबसे प्रिय बांसुरी, मोर पंख, आभूषण, मुकुट इत्यादि का भी प्रयोग करें. बाल कृष्ण अथवा राधा कृष्ण की प्रतिमा को पीले वस्त्र, गोपी चंदन और चंदन के सुगंध की भी व्यवस्था करें.
माना जाता है कि ये वस्तुएं श्रीकृष्ण को विशेष रूप से प्रिय होते हैं. रात बजते ही श्रीकृष्ण को झूले पर बिठा कर झुलाया जाता है. इसके लिए झूले का भी विशेष श्रृंगार किया जाता है. झूला झुलाने के साथ ही मंगल गान की भी परंपरा पूरी की जाती है. अंत में श्रीकृष्ण भगवान की आरती गायी जाती है और अंत में प्रसाद का वितरण होता है. प्रसाद में पंचामृत बनाएं तो उसमें तुलसी जी की पत्तियां जरूर डालें. पंचामृत के अलावा सूखे मेवे, मक्खन एवं मिशरी का भोग लगाया जाता है. इस दिन धनिये की पंजीरी का विशेष भोग चढाने की भी परंपरा है.
क्या न करें-
- उपवास नहीं रखते हैं तो भी प्याज-लहसुन का इस्तेमाल खाने में न करें.
- श्रीकृष्ण प्रेम के देवता हैं, अतः किसी को अपशब्द नहीं कहें ना किसी का अपमान करें.
- श्रीकृष्ण जी का जन्म चूंकि रात 12 बजे ही होता है, इसलिए 12 बजे के बाद ही श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनायें और उसके बाद पारण करें.
- श्रीकृष्ण भगवान की खंडित मूर्ति की पूजा नहीं करें,
- श्रीकृष्ण की पूजा करते समय काले रंग का वस्त्र नहीं पहनना चाहिए.
- बिना तुलसी दल के बने पंचामृत का प्रयोग हरगिज नहीं करें.
- गेहूं अथवा चावल के आटे की पंजीरी हरगिज नहीं चढाए.