Holi 2019: क्यों मनाई जाती है होली, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा और महत्त्व

होली के त्योहार को कुछ ही दिन बचे हैं. पूरे देश में होली की तैयारियां धूम धाम से शुरू हो चुकी हैं. होली जीत का त्योहार है. इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी. इस साल होली 20 और 21 मार्च को मनाई जाएगी. 20 मार्च को रात में होलिका दहन होगा...

होली 2019 (Representational Image/ Photo Credit: Facebook)

होली (Holi 2019) के त्योहार को कुछ ही दिन बचे हैं. पूरे देश में होली की तैयारियां धूम धाम से शुरू हो चुकी हैं. होली जीत का त्योहार है. इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी. इस साल होली 20 और 21 मार्च को मनाई जाएगी. 20 मार्च को रात में होलिका दहन होगा जिसके बाद 21 मार्च की सुबह होली खेली जाएगी. परंपरा के अनुसार होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन जलाई जाती है. ये त्योहार हिंदू धर्म में बहुत मायने रखता है.

होलिका दहन के बाद होली की राख को बहुत ही शुभ माना जाता है. उत्तर भारत में होली की राख में गन्ना और गेहूं की बालियां भूनकर दोस्तों और रिश्तेदारों में बांटी जाती हैं. पुराणों के अनुसार होलिका दहन में लोगों के सारे दुख और परेशानियां जलकर राख हो जाती हैं. उत्तर भारत में होलिका दहन के दिन परिवार के सभी लोगों की सरसों के उबटन से मालिश होती है. मालिश के दौरान शरीर से निकली हुई मैल होलिका दहन में डाल दी जाती है. ऐसा करने से शरीर की सारी बीमारियां और घर की सारी पनौती होलिका के साथ ही जल जाती है.

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पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानता था और लोगों से जबरदस्ती अपनी पूजा करवाता था. हिरण्यकश्यप चाहता था कि उसका बेटा प्रहलाद भी उसकी पूजा करे लेकिन प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की पूजा करने से इंकार कर दिया. जिसकी वजह से उसने कई बार प्रहलाद को मारने की कोशिश की और हर बार नाकामयाब हो जाता था क्योंकि प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था. हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने मिलकर प्रहलाद को लेकर चिता में बैठने की योजना बनाई. होलिका के पास आग में न जलने का वरदान था. लेकिन जैसे ही चिता जली होलिका जलने लगी और प्रहलाद बच गया. भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद की जान बच गई. तबसे से होली के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.

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