Hazrat Ali Wiladat 2020: कौन हैं हजरत अली? जानें पहले मुस्लिम वैज्ञानिक का इतिहास एवं महत्व!

हजरत अली लोगों को शांति और अमन का पैगाम देते थे. उन्होंने आवाम को पैगाम देते हुए बताता कि इस्लाम कभी भी कत्ल और भेदभाव करने के पक्ष में नहीं रहा है. उनका मानना था कि अपने शत्रु से प्रेम करोगे तो वह एक दिन तुम्हारा मित्र बन जाएगा.

अफगानिस्तान में हजरत अली के मजार-ए-शरीफ पर भक्तों का जमावड़ा (Photo Credits: Getty Images)

Hazrat Ali Wiladat 2020: रसूल-ए-खुदा पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब (SAW) के दामाद और मुसलमानों के चौथे खलीफा इमाम हजरत अली की जयंती 9 मार्च, 2020 यानी आज है. पैगंबर मुहम्मद के चचेरे भाई हज़रत अली, भारत और उसके बाहर मुस्लिम देशों में सम्मानित व्यक्तियों में शुमार होते हैं. अली इब्न अबी तालिब हज़रत अली इस्लाम में परिवर्तित होने वाले पहले पुरुष बताये जाते हैं. हजरत अली की जयंती पर मुस्लिम समुदाय एक-दूसरे को उनके जन्मदिन की बधाइयां देते हैं, उनके द्वारा कहे गए अनमोल वचनों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं. इस अवसर पर उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक और भारत में प्रतिबंधित अवकाश रहता है.

अभिलेखों के अनुसार, हजरत अली का जन्म सउदी अरब स्थित काबा के पवित्र मक्का शहर में हुआ था. पिता का नाम अबु तालिक और माता का नाम फातिमा बिन असद था. मक्का मदीना में पैदा होनेवाले वे एकलौते व्यक्ति हैं. इनका असली नाम है अली इंबे अबी तालिब है. हजरत अली हज़रत मुहम्मद के प्रारंभिक साथी थे, और उन लड़ाइयों में लड़े जो मुस्लिम समुदाय के शुरुआती लोगों को लड़ने के लिए मजबूर करती थी. अली ने मदीना जाने के बाद मुहम्मद की बेटी फातिमा से निकाह किया था. मान्यता है कि वह खाने में हमेशा जौ की रोटी और नमक या फिर दूध के साथ खाते थे. कहा जाता है कि ख़लीफ़ा कुफा के पवित्र मस्जिद में नमाज़ अदा करते समय हजरत अली के सिर पर जहरीली तलवार से हमला कर उनकी हत्या कर दी गई.

कैसे मनाते हैं जयंती

हजरत अली की जयंती के दिन इस्लाम धर्म से जुड़े लोग अपने घरों को सजाते हैं, दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर दावत खाते हैं. सभी मुसलमान एक-दूसरे को हजरत अली के जन्मदिन की बधाई देते हैं. उनके किस्सों को एक-दूसरों को शेयर करते हैं. हजरत अली की जयंती भारत या पाकिस्तान में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनायी जाती है. उनके द्वारा कहे वचनों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प करते हैं.

विभिन्न नामों से थे लोकप्रिय

हजरत अली को उनके व्यक्तिगत गुणों के कारण विभिन्न उपनामों उदाहरणार्थ स्वरूप अल-मुर्तज़ा (द चॉसेन वन), अमीर अल-मुमिनिन (फेथफुल ओन्स के कमांडर), बाब-ए मदीनतुल-इल्म (शहर के ज्ञान के द्वार), अबू कबाब (मिट्टी के पिता), असद अल्लाह (ईश्वर का शेर), हैदर (ब्रेवहार्ट या शेर) और व्लाद अल-कबाह (काबा का बेटा) के रूप में भी जाना जाता है. इसके साथ ही उऩ्हें पहला मुस्लिम वैज्ञानिक माना जाता है, क्योंकि वह आम लोगों पर विज्ञान से जुड़ी जानकारियों को बहुत ही रोचक ढंग से पहुंचाते थे.

शिया सुन्नी दोनों के थे प्रिय

हजरत अली शिया एवं सुन्नी दोनों समुदाय के प्रिय, महत्वपूर्ण एवं महान हस्ती माने जाते हैं. वह एक विद्वान, पवित्र मुस्लिम, मुहम्मद के प्रति वफादार और उत्कृष्ट शासक के रूप में जाने जाते हैं. सुन्नी मुसलमानों द्वारा उन्हें चौथा रशीदुन खलीफा माना जाता है, जबकि शिया समुदाय के लोग उन्हें मुहम्मद के बाद पहला खलीफा और इमाम मानते हैं. शिया मुसलमान मानते हैं कि हजरत अली और अन्य शिया इमाम मुहम्मद के सही उत्तराधिकारी हैं.

हजरत अली के पैगाम

हजरत अली लोगों को शांति और अमन का पैगाम देते थे. उन्होंने आवाम को पैगाम देते हुए बताता कि इस्लाम कभी भी कत्ल और भेदभाव करने के पक्ष में नहीं रहा है. उनका मानना था कि अपने शत्रु से प्रेम करोगे तो वह एक दिन तुम्हारा मित्र बन जाएगा. उनके अनुसार अत्याचार करने वाला ही नहीं, बल्कि उसमें सहायता करने वाला और उससे खुश होने वाला सभी अत्याचारी कहे जाएंगे.

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