Happy Mother's Day 2021 Wishes: इस नश्वर संसार में माँ का रिश्ता सभी रिश्तों में सर्वोपरि और पवित्र माना गया है. उसे ईश्वर स्वरूपा यूं ही नहीं कहते, क्योंकि माँ के बिना सृष्टि की संकल्पना बेमानी होगी. आज हम ममत्व, त्याग और समर्पण की प्रतिमूर्ति माँ को समर्पित ‘मातृत्व दिवस’ मना रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस पवित्र दिवस की नींव कब और कैसे रखी गई थी? अगर नहीं तो इसी संदर्भ में जानिये एक रोचक और प्रेरक सच्ची कहानी. यह भी पढ़े: Mother’s Day 2021 Hindi Wishes: मदर्स डे पर इन प्यार भरे Quotes, Facebook Messages, GIF Greetings, HD Images के जरिए अपनी मां को स्पेशल फील कराए
माँ ने मांओं के लिए बुना एक सपना!
साल 1858 की बात है, अमेरिका के फिलोडेल्फिया की रहनेवाली मारिया जार्विस मेथॉडिस्ट इपिस्कोपल चर्च एक ‘मदर्स डे नेटवर्क आर्गानाइज’ किया. मकसद था, ऊंची शिशु मृत्यु दर और बाल मृत्यु दर को कम करना. इसकी मुख्य वजह उनके क्षेत्र ग्रेफ़्टन, वेस्ट वर्जीनिया में फैली एक बीमारी थी. वह साल के एक खास दिन को माँ के नाम समर्पित देखना चाहती थीं. कहते हैं कि उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं को ये समझाने में लगा दिया कि उन्हें अपने बच्चों का बेहतर ढंग से पालन-पोषण करना चाहिए. वह ये भी चाहती थीं कि दुनिया में मांओं के काम की भी प्रशंसा हो. एक बार जार्विस ने कहा भी था कि मुझे उम्मीद है कि मैं रहूं या ना रहूं, एक दिन माँओं को अवश्य समर्पित होगा. लेकिन उनकी चाहत उनके दिल में ही दफन हो गई. 1905 में मारिया जार्विस की अचानक मृत्यु हो गयी.
क्या बेटी मां के सपने को पूरा कर सकी?
जार्विस की 13 संतानें थीं, लेकिन सिर्फ 4 ही व्यस्कता की उम्र को छू सके थे. इन्हीं में एक बेटी थी एना जार्विस. एना अपनी माँ से बहुत प्यार करती थी. माँ को खुश देखने के लिए उन्होंने कभी शादी नहीं की. एना ने अपनी माँ का सपना पूरा करने की कसम खाई. एना ने अपनी मां की स्मृति में सेंट एड्र्यूज चर्च में एक मेमोरियल रखा. एना जार्विस एक कम्युनिटी ऑर्गानाइजर थीं. उन्होंने माँ की याद में मदर्स वर्ल्ड डे क्लब की शुरुआत की. इस क्लब को शुरु करने का एकमात्र मकसद था, आम औरतों को सिखाना कि वे अपने बच्चों की सही तरीके से देखभाल कैसे करें, और कैसे उसे एक स्वस्थ जीवन दे सकें. वस्तुतः वे अपनी माँ के सपने को साकार करना चाहती थीं.
यूएस सरकार ने एना का प्रपोजल रिजेक्ट कर दिया
एना जार्विस ने ‘मदर्स डे’ को बतौर ऑफीसियल हॉली-डे रिकगनाइज कराने के लिए एक कैम्पेन शुरु किया, यद्यपि उनका यह सफर आसान नहीं था. 1908 में यूएस की तत्कालीन सरकार ने एना जार्विस के ‘मदर्स डे’ को ऑफीसियल हॉली-डे घोषित करने के प्रपोजल को यह कहकर रिजेक्ट कर दिया कि अगर एना जार्विस के प्रपोजल को मान लिया गया तो कल को कुछ लोग मदर-इन-लॉ डे की मांग करना शुरु कर देंगे.
एना अपने प्रपोजल को अमेरिकन सरकार द्वारा स्पष्ट इंकार किये जाने से किंचित निराश नहीं हुईं. उन्होंने अपनी तरफ से कोशिश जारी रखी. उनका कैम्पेन निर्विरोध चलता रहा. आखिरकार 1914 में तत्कालीन अमेरिकन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन (WOODROW WILSON) ने दुनिया की सभी माताओं को सम्मानित करने के लिए एक लॉ पास किया, जिसमें लिखा था कि मई के दूसरे रविवार को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करते हुए इस दिन मदर्स डे मनाया जायेगा.
इस तरह दुनिया की सभी माओं को सम्मान देने वाले एना जार्विस के इस भागीरथ प्रयास को सात साल बाद साकार करने में सफलता मिली. एना के लिए यह सफलता माँ को अश्रुपुरित श्रद्धांजलि थी. इसके बाद से ही दुनिया के करीब 50 देशों में मई माह के दूसरे रविवार को अंतर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस मनाया जाता है. राजेश श्रीवास्तव