Naziha Salim Google Doodle: नाजिहा सलीम को गूगल ने किया याद, इराक की इस प्रभावशाली कलाकार को खास डूडल के जरिए दी श्रद्धांजलि
सर्च इंजिन गूगल ने आज यानी 23 अप्रैल 2022 को अपनी डूडल कलाकृति के जरिए चित्रकार, प्रोफसर और इराक के समकालीन कला परिदृश्य में सबसे प्रभावशाली कलाकारों में से एक नाजिहा सलीम को श्रद्धांजलि अर्पित की है. डूडल में जो तस्वीर नजर आ रही है, उसमें एक तरफ नाजिहा सलीम को पेंट ब्रश पकड़े देखा जा सकता है, जबकि दूसरी तरफ उनकी पेंटिंग की झलक देखने को मिल रही है.
Naziha Salim Google Doodle: सर्च इंजिन गूगल (Google) ने आज यानी 23 अप्रैल 2022 को अपनी डूडल (Doodle) कलाकृति के जरिए चित्रकार, प्रोफसर और इराक के समकालीन कला परिदृश्य में सबसे प्रभावशाली कलाकारों में से एक नाजिहा सलीम (Naziha Salim) को श्रद्धांजलि अर्पित की है. इसी दिन साल 2020 में बरजील आर्ट फाउंडेशन (Barjeel Art Foundation) द्वारा महिला कलाकारों के संग्रह में नाजिहा के काम पर प्रकाश डाला गया था. सलीम की पेंटिंग शैली और कला में उनके योगदान के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए गूगल ने खास डूडल समर्पित किया है. गूगल ने जो डूडल समर्पित किया है, वो दो तस्वीरों का मिश्रण है. डूडल में जो तस्वीर नजर आ रही है, उसमें एक तरफ नाजिहा सलीम को पेंट ब्रश पकड़े देखा जा सकता है, जबकि दूसरी तरफ उनकी पेंटिंग की झलक देखने को मिल रही है.
नाजिया सलीम (Naziha Salim) का जन्म 1927 में तुर्की के इस्तांबुल में हुआ था. कलाकारों के परिवार में जन्मी नाजिहा के पिता खुद एक चित्रकार थे और माता कढ़ाई की कला में माहिर थीं. कम उम्र से ही नाजिहा का कला के प्रति खास रूझान था. कला के प्रति उनके रुझान को देखते हुए उन्हें बगदाद फाइन आर्ट्स इंस्टीट्यूट (Baghdad Fine Arts Institute) में दाखिला दिलाया गया, जहां उन्होंने पेंटिंग का अध्ययन किया और स्नातक की उपाधि प्राप्त की. अपनी कड़ी मेहनत और कला के प्रति जुनून के कारण, वह पेरिस में Ncole Nationale Supérieure des Beaux-Arts में अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए छात्रवृत्ति से सम्मानित होने वाली पहली महिला बन गईं. नाजिहा फ्रेस्को और म्यूरल पेंटिंग में माहिर थीं. यह भी पढ़ें: ‘Climate Change’ Earth Day 2022 Google Doodle: अर्थ डे पर गूगल ने डूडल के जरिए ‘जलवायु परिवर्तन’ पर डाला प्रकाश, बताया कैसे प्रभावित हो रही है हमारी पृथ्वी
गौरतलब है कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सलीम कुछ सालों तक विदेश में ही रहीं, फिर वो बगदाद फाइन आर्ट्स में पढ़ाने के लिए वापस लौटीं और वहीं से रिटायरमेंट लिया. वो इराक के अल-रुवाद की संस्थापकों में से एक थीं. दरअसल, अल-रुवाद इराकी कलाकारों का एक समुदाय है जो विदेशों में अध्ययन करता है और इराकी सौंदर्यशास्त्र में यूरोपीय कला तकनीकों को शामिल करने के लिए जाना जाता है.