Gangaur 2025 Mehndi Designs: गणगौर के पर्व की शुभता को बढ़ाएं मेहंदी के सुर्ख लाल रंग से, अपनी हथेलियों पर रचाएं ये खूबसूरत डिजाइन्स
गणगौर 2025 मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

Gangaur 2025 Mehndi Designs: हमारे देश में शादीशुदा महिलाएं (Married Women) अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कई व्रत करती हैं. इन सबमें हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाए जाने वाले गणगौर तीज (Gangaur Teej) का विशेष महत्व बताया जाता है. वैसे तो गणगौर तीज का पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से ही हो जाती है. करीब 16 दिनों तक गणगौर (Gangaur) मनाए जाने के बाद इस तिथि पर गणगौर तीज का व्रत किया जाता है. इस साल गणगौर तीज का पर्व 31 मार्च 2025 को मनाया जा रहा है. दरअसल, राजस्थान (Rajasthan) में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन जहां विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से व्रत करती हैं तो वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की चाह में यह व्रत करती हैं.

कहा जाता है कि चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने सभी स्त्रियों को सौभाग्य का वरदान दिया था, इसलिए इस पर्व को सुहागन स्त्रियां पूरे भक्ति-भाव के साथ मनाती हैं. इस दिन सोलह श्रृंगार करके और हाथों में मेहंदी (Gangaur Mehndi) रचाकर महिलाएं मिट्टी से गणगौर बनाकर पूजा करती हैं. ऐसे में अपनी हथेलियों पर आप इन खूबसूरत डिजाइन्स को रचाकर गणगौर के पर्व की शुभता को मेहंदी के सुर्ख लाल रंग से बढ़ा सकती हैं.

गणगौर बैक हैंड मेहंदी

गणगौर स्पेशल मेहंदी

गणगौर ट्रेडिशनल मेहंदी

गणगौर सदा सुहागन मेहंदी

गणगौर के लिए खास मेहंदी

शिव-पार्वती वाली मनमोहक मेहंदी

गणगौर 2025 मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

गणगौर स्पेशल फुल हैंड मेहंदी

गणगौर 2025 मेहंदी डिजाइन्स (Photo Credits: Instagram)

गणगौर तीज से जुड़ी प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि होली के दूसरे दिन माता पार्वती ससुराल से अपने पीहर आती हैं और उनके मायके आने के करीब 8 दिन बाद ईसर जी यानी महादेव उन्हें लेने के लिए आते हैं. यही वजह है कि इस उत्सव की शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से ही हो जाती है, जबकि इसका समापन चैत्र शुक्ल तृतीया को होता है. इस दिन महिलाएं सुखी-वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं तो वहीं कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना से इस व्रत को करती हैं.