Gangaur 2024 Wishes in Hindi: हमारे देश में विवाहित महिलाएं (Married Women) अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से सालभर में कई व्रत करती हैं. साल भर किए जाने वाले इन व्रतों में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को किए जाने वाले गणगौर तीज (Gangaur Teej) का विशेष महत्व बताया जाता है. राजस्थान (Rajasthan) में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन जहां विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से व्रत करती हैं तो वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की चाह में यह व्रत करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, गणगौर तीज का पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से ही हो जाती है. करीब 16 दिनों तक गणगौर मनाए जाने के बाद इस तिथि पर गणगौर तीज का व्रत किया जाता है. इस साल गणगौर तीज का पर्व 11 अप्रैल 2024 को मनाया जा रहा है.
ऐसी मान्यता है कि चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन यानी गणगौर तीज पर महादेव और माता पार्वती ने सभी स्त्रियों को सौभाग्य का वरदान दिया था, इसलिए इस दिन सुहागन स्त्रियां मिट्टी से गणगौर बनाकर विधि-विधान से उनकी पूजा करती हैं. इसके साथ ही अपनी सखी-सहेलियों को गणगौर की बधाई देती हैं. ऐसे में आप भी इस अवसर पर इन हिंदी विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, कोट्स, फेसबुक ग्रीटिंग्स को भेजकर गणगौर तीज की शुभकामनाएं दे सकती हैं.
1- गणगौर पूजा जोड़ा है शिव-गौरा का,
प्रेम उत्साह और उमंग की भावना का,
जो भी महिला रखती है व्रत इस दिन
उसे मिलता है पति भोले शिव शंकर जैसा.
गणगौर की शुभकामनाएं
2- एक दुआ मांगते हैं हम अपने भगवान से.
चाहते हैं आपकी खुशी पूरे ईमान से,
सब हसरतें पूरी हो आपकी,
और आप मुस्कुराएं दिल-ओ-जान से.
गणगौर की शुभकामनाएं
3- गणगौर है उमंगों का त्योहार,
फूल खिले हैं बागों में फागुन की है फुहार,
दिल से आप सब को हो मुबारक,
प्यारा ये गणगौर का त्योहार.
गणगौर की शुभकामनाएं
4- करें पूजा-अर्चना शिव की जीवन भर,
होंगे आपके जीवन से सारे संकट दूर,
गणगौर का त्योहार मुबारक हो आपको,
शिव-पार्वती की कृपा सदा रहे आप पर.
गणगौर की शुभकामनाएं
5- व्रत गणगौर का है बहुत ही मधुर प्यार का,
दिल की श्रद्धा और सच्चे विश्वास का,
बिछियां पैरों में हो, माथे पर बिंदिया,
हर जन्म में मिलन हो हमारा पिया.
गणगौर की शुभकामनाएं
बहरहाल, गणगौर तीज से जुड़ी प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, होली के दूसरे दिन माता पार्वती ससुराल से अपने पीहर आती हैं. उनके मायके आने के करीब 8 दिन बाद ईसर जी यानी महादेव उन्हें लेने के लिए आते हैं, इसलिए इस उत्सव की शुरुआत चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से ही हो जाती है, जबकि समापन चैत्र शुक्ल तृतीया को होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने पर सुहागन महिलाओं का वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है.