Ganesh Chaturthi 2020: अगर आप पहली बार गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान अवश्य रखें,आपके सभी बिगड़े काम पूरे होंगे!
इस वर्ष देश में कोविड-19 के घातक रूप से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए विभिन्न राज्य सरकारों ने गणेश भक्तों से पंडालों में जाने के बजाय घरों में ही गणपति बप्पा की पूजा करने का अनुरोध किया है. ऐसे में इस वर्ष एकल गणपति मनाने की संख्या में काफी वृद्धि होने का अनुमान है.
इस वर्ष देश में कोविड-19 के घातक रूप से बढ़ते संक्रमण को देखते हुए विभिन्न राज्य सरकारों ने गणेश भक्तों से पंडालों में जाने के बजाय घरों में ही गणपति बप्पा की पूजा करने का अनुरोध किया है. ऐसे में इस वर्ष एकल गणपति मनाने की संख्या में काफी वृद्धि होने का अनुमान है. अगर आप भी पहली बार गणेश जी की प्रतिमा घर पर बिठाने जा रहे हैं तो बेहतर होगा कि किसी पुरोहित की मदद से ही गणेश प्रतिमा की स्थापना करें. क्योंकि मान्यता है कि गणपति बप्पा अपने भक्तों पर जितनी जल्दी प्रसन्न होते हैं, गलत पूजा विधान से रुष्ठ भी हो जाते हैं. इसके साथ-साथ बप्पा की पूजा करते समय कुछ विशिष्ठ बातों का भी अवश्य ध्यान रखना चाहिए. ऐसा करने से गणपति बप्पा की कृपा से सभी बिगड़े कार्य शीघ्र सम्पन्न होते हैं तथा घर में सुख, शांति एवं समृद्धि की वर्षा होती है. आइये जानें वे अभीष्ठ बातें क्या हैं....
हिंदू धर्म ग्रंथों में भगवान श्रीगणेश प्रथम पूज्य देवता के साथ-साथ बुद्धि एवं रिद्धि, सिद्धि के दाता भी बताये गये हैं. मान्यता है कि बप्पा भक्तों की हर समस्याओं, संकट, रोग और निर्धनता को दूर करते है. गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है. इस वर्ष यह पुण्य तिथि 22 अगस्त को पड़ रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी को मध्याह्न काल में, स्वाति नक्षत्र एवं सिंह लग्न में हुआ था. अतः गणेश चतुर्थी में इसी काल में पूजन करना ज्यादा श्रेयस्कर होता है. गणपति बप्पा विघ्नों का नाश और सुखों की वर्षा करते हैं.
अक्षत
गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना करते समय उन्हें अक्षत (चावल) अवश्य अर्पित करें, मगर ध्यान रहे की अक्षत खंडित नहीं होने चाहिए. अक्षत को चढ़ाने से पूर्व उसे अच्छी तरह से धो लें. सूखा अक्षत भगवान स्वीकार नहीं करते हैं. अक्षत चढ़ाते समय निम्न मंत्रों का जाप अवश्य करें. ‘इदं अक्षतम् ॐ गं गणपतये नम:
शंख
वैसे तो हर हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में शंख का प्रयोग अवश्य किया जाता है. लेकिन गणेश जी की पूजा शंख के बिना अधूरी मानी जाती है. गणेश जी को शंख अत्यंत प्रिय बताया जाता है. अगर आप ध्यान दें तो गणपति की प्रतिमा में उनके एक हाथ में शंख धारण करते अवश्य दिखाया जाता है. अतः श्रीगणेश जी की पूजा में पूरी श्रद्धा एवं आस्था के साथ शंख अवश्य बजाएं.
मोदक (विशेष आकार के लड्डू)
गणपति बप्पा की पूजा करते हुए तमाम तरह के मिष्ठान आदि चढ़ाई जाती है. लेकिन मान्यता है कि बप्पा को मोदक बहुत पसंद है, और इसके बिना गणपति की पूजा अधूरी मानी जाती है. प्रचलित है कि मोदक का प्रसाद अर्पित करने से गणेश जी अपने भक्त पर प्रसन्न होकर उसके जीवन में मिठास घोल देते हैं. हां इस वर्ष कोरोनावायरस के संक्रमण को देखते हुए आप घर पर ही मोदक बनाकर चढ़ाएं. अगर मोदक नहीं बना सकते तो बूंदी के लड्डू का भी भोग लगा सकते हैं.
पीला सिंदूर
कहते हैं कि भगवान श्रीगणेश जी को पीले रंग का सिंदूर बहुत प्रिय है. हिंदू धर्म में भी सिंदूर को बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है. इसलिए गणपति की पूजा करते समय उन्हें सिंदूर अवश्य चढ़ायें. विघ्नविनाशक गणपति जी को सिंदूर अर्पित करने से अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा अथवा बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर पातीं.
दूर्वा (दूब)
गणेश पुराण के अनुसार श्रीगणेश जी को दुर्वा यानी दूब चढ़ाने से वे प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि बप्पा को हमेशा दूर्वा का ऊपरी हिस्सा चढ़ाना साफ पानी से धोकर चाहिए. मान्यता है कि गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना में दूर्वा की इक्कीस गांठ अर्पित करने से सारे बिगड़े काम पूरे होते हैं.
पीले गेंदे के फूल
पीले सिंदूर की तरह गणेश जी को पीले रंग के गेंदे के फूल भी बहुत प्रिय है. यही वजह है कि गणेशोत्सव मंडप की साज-सज्जा करते समय पीले गेंदे के फूलों का प्रयोग बहुतायत होता है. इसके साथ-साथ बप्पा का भव्य श्रृंगार भी पीले गेंदे के फूल से किया जाता है. हांलाकि गणेश जी की पूजा के लिए आप किसी भी लाल या पीले रंग के फूलों का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन अगर आप गणेश जी की पहली बार स्थापना कर रहे हैं तो पीले रंग के गेंदे के फूलों से बनी माला अवश्य चढ़ाएं. इससे भगवान प्रसन्न होते हैं.
गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त
मध्याह्न गणेश पूजा का समयः दिन 11.07 से अपराह्न 01.41 बजे तक