Engineer's Day 2022 Wishes in Hindi: हर साल 15 सितंबर को सर एम विश्वेश्वरैया (Mokshagundam Visvesvaraya) की जयंती मनाई जाती है, जिसे देशभर में इंजीनियर्स डे (Engineer's Day) यानी अभियंता दिवस के तौर पर मनाया जाता है. यह दिन तमाम इंजीनियर्स (Engineers) के लिए बेहद खास है, क्योंकि इस दिन इंजीनियर्स के कठोर परिश्रम, उनके योगदान और कार्यों के लिए उनका आभार जताया जाता है. दरअसल, जिस तरह से शिक्षकों को सम्मान देने के लिए टीचर्स डे, डॉक्टरों को सम्मानित करने के लिए डॉक्टर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है. ठीक उसी तरह देश के विकास में अहम योगदान देने वाले इंजीनियर्स के सम्मान में इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. मानव जीवन में रचनात्मक परिवर्तन लाने के लिए इस दिन इंजीनियर्स को बधाई दी जाती है. इसके अलावा इस दिन देश के युवाओं को इंजीनियरिंग करियर के प्रति प्रेरित किया जाता है.
इंजीनियर्स डे पर इंजीनियरों के सम्मान में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. अगर आपका कोई दोस्त, रिश्तेदार या करीबी इंजीनियर है तो इस बेहद खास अवसर पर आप उन्हें इंजीनियर्स डे के इन शानदार विशेज, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स को सोशल मीडिया के जरिए भेजकर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- जो खिलौने के टूटने से नहीं रोता,
जो फेल होने से घबराता नहीं,
जो दिन में सोता और रात में जागता,
वो उल्लू नहीं, आज का इंजीनियर है कहलाता.
इंजीनियर्स डे की शुभकामनाएं
2- हर इंसान इंजीनियर है, कुछ मकान बनाते हैं,
कुछ सॉफ्टवेयर बनाते हैं तो कुछ मशीन बनाते हैं,
और हम जैसे लोग उनकी कहानियों को,
स्याही में डुबोकर उन्हें अमर बनाते हैं.
इंजीनियर्स डे की शुभकामनाएं
3- दिलों में अपनी बेताबियां,
नजर में ख्वाबों की बिजलियां,
और 4-5 बैकलॉग लेकर चल रहे हो,
तो इसका मतलब है कि तुम इंजीनियर हो.
इंजीनियर्स डे की शुभकामनाएं
4- जो ऊंचाई पर जाने से नहीं डरता,
जो नीचे गिरने से नहीं घबराता,
जो एग्जाम से खौफ नहीं खाता,
वही असल इंजीनियर है होता.
इंजीनियर्स डे की शुभकामनाएं
5- चार साल, 40 विषय,
4 हजार असाइनमेंट, 4 हजार घंटे,
एक आम इंसान ऐसा नहीं कर सकता है,
ऐसा सिर्फ एक इंजीनियरिंग का छात्र कर सकता है.
इंजीनियर्स डे की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि 15 सितंबर 1861 को मैसूर के कोलार जिले के चिक्काबल्लापुर तालुका में जन्में सर एम विश्वेश्वरैया को मशीनों से बेहद लगाव था. अपने अभियांत्रिकी गुणों का उपयोग उन्होंने देश के विकास की गाथा लिखने में किया. उन्हें कर्नाटक का भागीरथ भी कहा जाता है. देश के विकास में दिए गए महत्वपूर्ण योगदानों के लिए साल 1955 में उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था. इस सम्मान को पाने के कुछ साल बाद यानी 1962 में लंबी बीमारी के चलते उनका निधन हो गया.