Easter Day 2019: गुड फ्राइडे दुख मनाने तो ईस्टर है खुशियों को सेलिब्रेट करने का दिन, जानिए इस पर्व का महत्व

क्रिसमस के दिन यीशु का जन्म हुआ था, और गुड फ्राइडे को सूली पर चढ़ाकर मार दिये जाने के तीसरे दिन रविवार को प्रभु यीशु को पुनर्जीवन मिला था. जिसे ‘ईस्टर’ के रूप में सेलीब्रेट किया जाता है.

ईस्टर डे 2019 (Photo Credits: Pixabay)

Easter Sunday: ईसाई समाज (Christian Community) साल में मुख्यतः दो पर्व ही मनाते हैं. एक क्रिसमस (Christmas) और दूसरा ईस्टर (Easter). दोनों पर्वों का मुख्य ध्येय है यीशु का जन्मदिन सेलीब्रेट करना. क्रिसमस के दिन यीशु का जन्म हुआ था और गुड फ्राइडे (Good Friday) को सूली पर चढ़ाकर मार दिये जाने के तीसरे दिन रविवार को प्रभु यीशु को पुनर्जीवन मिला था. जिसे ‘ईस्टर’ के रूप में सेलीब्रेट किया जाता है. ‘गुड फ्राइडे’ ईसाई समाज का पर्व ही नहीं बल्कि दुख की एक घड़ी भी मानता है. जब यरुशलम की एक पहाड़ी पर यीशु को बिना किसी अपराध के सूली पर चढाकर मार डाला गया था. कहा जाता है कि मृत्यु के तीसरे दिन यीशु कब्र से जीवित बाहर निकले थे. अपने शिष्यों के साथ 40 दिन रहने के बाद उन्होंने लोगों को दर्शन दिया था.

ईस्टर को ‘चर्च का वर्ष काल’ अथवा ‘द ईस्टर सीजन’ भी कहा जाता है. परंपरागत रूप से ईस्टर काल 40 दिनों का होता है, लेकिन आधिकारिक तौर पर अब यह पंचाशती अर्थात 50 दिनों का होता है. ईस्टर सीजन के पहले सप्ताह को ‘ईस्टर सप्ताह’ के नाम से भी जाना जाता है. इसे ‘ओक्टेव ऑफ़ ईस्टर’ कहते हैं. ईस्टर के इस पूरे काल के दौरान ईसाई समाज के बहुत से लोग व्रत, प्रार्थना और प्रायश्चित आदि करते हैं.

क्या है ईस्टर संडे?

पूरे विश्व के ईसाई समुदाय के लोग प्रभु यीशु के पुनर्जीवित होने के उपलक्ष में यह पर्व सेलीब्रेट करते हैं. वस्तुतः ईस्टर का यह दिन आपसी सौहार्द, प्यार-स्नेह और क्षमा का पर्व माना जाता है. मान्यता है कि सलीब पर लटकाये जाने के तीसरे ही दिन प्रभु यीशु को पुनर्जीवन मिला था. यह पर्व नवजीवन के परिवर्तन के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है. ईसाई धर्म के विशेषज्ञों के अनुसार पुराने समय में ईसाई समाज रविवार को ही पवित्र दिन के रूप में सेलीब्रेट करते थे, लेकिन चौथी सदी से गुड फ्राइडे सहित ईस्टर के पूर्व आनेवाले प्रत्येक दिन को पवित्र घोषित कर दिया गया.

कैसे करते हैं सेलीब्रेट?

ईस्टर रविवार से एक दिन पूर्व सभी चर्चों में रात्रि जागरण के साथ सभी धार्मिक परंपराएं पूरी की जाती हैं. सर्वप्रथम चर्च के धर्माध्यक्ष ईस्टर कि विशेष पूजा करते हैं. मोमबत्तियां जलाते हैं, बाइबिल का पाठ करते हैं, तथा प्रभु यीशु के उपदेशों से भक्तों को अवगत कराया जाता है. इसके पश्चात प्रभु यीशू के पुनर्जन्म की लोगों को बधाइयां देते हैं. चर्च के फादर ईसाई समाज के घरों में जाकर प्रभु यीशू के पवित्र जल से छिड़काव करते हैं, तथा संबंधित परिवार की सुख-शांति की कामना करते है. इस अवसर पर लोग अपने- अपने घरों में खूबसूरत-खूबसूरत मोमबत्तियां जलाना और इन्हें अपनों के बीच बांटने की भी परंपरा है. यह भी पढ़ें: Good Friday 2019: प्रभु यीशु का बलिदान दिवस है गुड फ्राइडे, जानिए कैसे मनाया जाता है त्याग और जनहित का यह पर्व

स्नेह और सद्भावना का प्रतीक है ‘ईस्टर’

मान्यता है कि यीशु मसीह ने दुनिया को प्यार, स्नेह और सत्य बांटने के लिए दूसरा जन्म लिया था. अपनी प्रार्थनाओं में उन्होंने कहा भी है कि हे परम पिता परमेश्वर इन लोगों को माफ करना. क्योंकि ये नहीं जानते कि ये कर रहे हैं. ईसाई समाज के लोग ‘ईस्टर’ को भाईचारे और स्नेह का प्रतीक मानते हैं.

ईसाई समाज के लिए गुड फ्राइडे से तीसरा दिन यानी रविवार विशेष महत्वपूर्ण होता है.

प्रारंभ में क्रिश्चयन धर्म को ज्यादातर यहूदी के लोग मानते थे, जिन्होंने जीवित होने के दिन को ईस्टर के रूप में घोषित कर दिया. ईसाई धर्म पर विश्वास रखने वाले मानते हैं कि पुनर्जीवित होने के पश्चात 40 दिनों तक प्रभु यीशु अपने शिष्यों एवं अनुयायिवों के साथ थे, इसके पश्चात वे स्वर्ग चले गये.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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