Devshayani Ekadashi 2024 Messages: हैप्पी देवशयनी एकादशी! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Facebook Greetings और Quotes
देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा एकादशी जैसे नामों से जाना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया जाता है और इस दिन भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ ही खुशहाली का आगमन होता है. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स के जरिए प्रियजनों से हैप्पी देवशयनी एकादशी कह सकते हैं.
Devshayani Ekadashi 2024 Messages in Hindi: हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) के लिए एकादशी का व्रत (Ekadashi Vrat) रखा जाता है. एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए भक्त श्रीहरि की कृपा पाने के लिए इस व्रत का पालन करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) मनाई जाती है. देवशयनी एकादशी को भगवान विष्णु के शयनकाल का प्रारंभ दिवस माना जाता है, क्योंकि इसी एकादशी के दिन श्रीहरि चार महीने की योगनिद्रा के लिए क्षीरसागर में चले जाते हैं. इसके साथ चतुर्मास (Chaturmaas) की शुरुआत हो जाती है और सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इस साल देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को मनाई जा रही है.
देवशयनी एकादशी को आषाढ़ी एकादशी, हरिशयनी एकादशी और पद्मनाभा एकादशी जैसे नामों से जाना जाता है, जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व बताया जाता है और इस दिन भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. इस व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ ही खुशहाली का आगमन होता है. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स और कोट्स के जरिए प्रियजनों से हैप्पी देवशयनी एकादशी कह सकते हैं.
मान्यता है कि इसी एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं, फिर चार महीने बाद देवप्रबोधिनी एकादशी यानी देवउठनी एकादशी के दिन वे योगनिद्रा से जागते हैं और एक बार फिर से मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान शिव सृष्टि के संचालन का कार्यभार संभालते हैं और देवउठनी एकादशी को योगनिद्रा से जागने के बाद एक बार फिर से भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का कार्यभार अपने हाथों में ले लेते हैं.