Devshayani Ekadashi 2023 Wishes in Hindi: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi), देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi), हरिशयनी एकादशी (Harishayani Ekadashi) और पद्मनाभा एकादशी (Padmanabha Ekadashi) जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 को मनाई जा रही है. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, इस दिन से भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) चार महीनों के लिए क्षीरसागर में योगनिद्रा के लिए चले जाते हैं, इसलिए इसे हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है. इसी के साथ चतुर्मास की शुरुआत हो जाता है और श्रीहरि के शयन काल के दौरान चार महीनों के लिए सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद पूजन स्थल को गंगाजल से साफ करना चाहिए, फिर एक आसन पर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करके विधि-विधान से उनका पूजन करना चाहिए. श्रीहरि के पूजन में तुलसी दल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए.
ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी का व्रत करने से भक्तों के सभी दुख, दर्द दूर होते हैं और श्रीहरि की कृपा से उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. देवशयनी एकादशी को भक्त बहुत धूमधाम से मनाते हैं और शुभकामना संदेशों का आदान-प्रदान भी करते हैं. ऐसे में आप भी इस खास अवसर पर इन हिंदी विशेज, कोट्स, वॉट्सऐप मैसेजेस, फेसबुक ग्रीटिंग्स को शेयर कर शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
2- हर घर के आंगन में तुलसी,
तुलसी बड़ी महान है,
जिस घर में ये तुलसी रहती,
वो घर स्वर्ग समान है.
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं
3- ताल बजे और बजे मृदंगा,
बजे श्रीहरि की वीणा,
करें विष्णु की जय-जयकार,
आषाढ़ी एकादशी पर करें उनके गुणगान.
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
4- देवशयनी एकादशी के पावन अवसर पर,
भगवान विष्णु आपके सभी पापों का नाश करें.
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम:
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं.
5- विष्णु जिनका नाम हो,
वैकुंठ जिनका धाम हो,
देवशयनी एकादशी के शुभ अवसर पर,
श्रीहरि को शत-शत प्रणाम.
देवशयनी एकादशी की शुभकामनाएं
देवशयनी एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, मान्धाता राजा के राज्य में 3 साल तक बारिश न होने की वजह से अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. ऐसे में वहां की प्रजा को दुखी देख राजा उसका हल खोजने के लिए जंगल चले गए. जंगल में वे अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुंचते हैं और ऋषि के सामने अपनी समस्या को रखकर उसका उपाय पूछते हैं, जिसके बाद ऋषि उन्हें देवशयनी एकादशी का व्रत करने की सलाह देते हैं. ऋषि की बात मानकर राजा अपने राज्य में लौटकर अपनी प्रजा से इस एकादशी के व्रत को करने के लिए कहते हैं. राजा और प्रजा द्वारा इस व्रत को करने के बाद राज्य में वर्षा होती है, जिससे पूरा राज्य एक बार फिर धन-धान्य और खुशहाली से परिपूर्ण हो जाता है.