Dev Deepawali 2024 Messages: हैप्पी देव दीपावली! प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes और Facebook Greetings
देव दीपावली के पर्व को काशी यानी बनारस में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरोत्सव, त्रिपुरारी पूर्णिमा और त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व की लोग शुभकामना संदेशों के जरिए बधाई भी देते हैं. ऐसे में आप भी इस पावन अवसर पर इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को हैप्पी देव दीपावली कहकर विश कर सकते हैं.
Dev Deepawali 2024 Messages in Hindi: आज (15 नवंबर 2024) महादेव की पावन नगरी काशी में कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दीपावली (Dev Deepawali) का पर्व मनाया जा रहा है. दरअसल, इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा तिथि के दिन प्रदोष काल में मनाया जाता है. हिंदू धर्म की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी में स्नान करने से एक हजार बार गंगा स्नान करने के समान फल मिलता है. इस दिन गंगा स्नान करने से जातक के कई जन्मों के पाप धुल जाते हैं और उत्तम आरोग्य का प्राप्ति होती है. इसके साथ ही इस दिन गंगा किनारे गरीबों व जरूरतमंदों को अन्न, धन, वस्त्र, गर्म कपड़े का दान करने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं. इस दिन वाराणसी के 84 घाटों को दीयों की रोशनी से रोशन किया जाता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि इसी पावन तिथि पर भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया है.
देव दीपावली के पर्व को काशी यानी बनारस में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा, त्रिपुरोत्सव, त्रिपुरारी पूर्णिमा और त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस पर्व की लोग शुभकामना संदेशों के जरिए बधाई भी देते हैं. ऐसे में आप भी इस पावन अवसर पर इन हिंदी मैसेजेस, कोट्स, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स के जरिए प्रियजनों को हैप्पी देव दीपावली कहकर विश कर सकते हैं.
हिंदू धर्म की प्रचलित मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा को प्रदोष काल में स्वर्ग लोक से सभी देवी-देवता भगवान शिव की नगरी काशी में देव दीपावली मनाने के लिए आते हैं. ऐसे में भक्त उनके निमित्त शाम को दीपदान करते हैं. इसी रात माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरारी अवतार लेकर त्रिपुरासुर भाइयों की तिकड़ी का संहार किया था, जिससे प्रसन्न होकर देवी-देवताओं ने काशी नगरी में गंगा स्नान के बाद भगवान शिव की उपासना की थी और दीप प्रज्जवलित कर देव दीपावली का उत्सव मनाया था.