Chhath Puja 2024 Kharna Messages: हैप्पी खरना! छठ पूजा के दूसरे दिन प्रियजनों संग शेयर करें ये हिंदी WhatsApp Wishes, Quotes और GIF Greetings
छठ पूजा के दूसरे दिन निर्जल व्रत रखकर महिलाएं मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर गुड़ और चावल का प्रसाद बनाती है, फिर उसका सेवन करके 36 घंटे के निर्जल व्रत की शुरुआत करती हैं. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स और जीआईएफ ग्रीटिंग्स को भेजकर प्रियजनों से हैप्पी खरना कह सकते हैं.
Chhath Puja 2024 Kharna Messages in Hindi: दिवाली (Diwali) के बाद 5 नवंबर से नहाय-खाय (Nahay-Khay) के साथ चार दिवसीय छठ पूजा (Chhath Puja) महापर्व की शुरुआत हो चुकी है और आज (06 नवंबर 2024) छठ पूजा का दूसरा दिन है, जिसे लोहंडा (Lohanda) या खरना (Kharna) कहा जाता है. छठ पूजा को डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक मनाए जाने वाले इस महापर्व के दौरान सूर्य देव और छठ मैया की उपासना की जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक शुक्ल षष्ठी को 14 साल के वनवास से लौटकर श्री राम और माता सीता ने पहली बार छठ पूजा की थी, जो दर्शाता है कि सूर्य पूजा परंपरा प्राचीन काल से जारी है. इससे जुड़ी एक अन्य कथा के अनुसार, राजा प्रियव्रत और पत्नी मालिनी को संतान की प्राप्ति नहीं हो पा रही थी. काफी कोशिशों के बाद शिशु गर्भ में तो आता, लेकिन जन्म लेते ही उसकी मृत्यु हो जाती थी.
इससे निराश होकर एक दिन राजा ने आत्महत्या की कोशिश की, तभी एक मानस कन्या प्रकट हुईं और कहा कि मैं ब्रह्माण्ड का छठा अवतार हूं. अगर तुम शुद्ध मन से मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें अवश्य संतान की प्राप्ति होगी. इसके बाद राजा रानी ने वैसा ही किया और छठ मैया की कृपा से उन्हें सुंदर संतान का प्राप्ति हुई. कहा जाता है कि तब से छठ पूजा की परंपरा निभाई जा रही है.
छठ पूजा के दूसरे दिन निर्जल व्रत रखकर महिलाएं मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी से आग जलाकर गुड़ और चावल का प्रसाद बनाती है, फिर उसका सेवन करके 36 घंटे के निर्जल व्रत की शुरुआत करती हैं. छठ पूजा व्रत के नियम काफी कठिन और सख्त होते हैं, इसलिए इसे महाव्रत भी कहा जाता है. इस अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, कोट्स और जीआईएफ ग्रीटिंग्स को भेजकर प्रियजनों से हैप्पी खरना कह सकते हैं.
खरना के बाद छठ पूजा का तीसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस दिन व्रती पवित्र नदी या तालाब में खड़े होकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं, जिसे संध्या अर्घ्य कहा जाता है. इसके बाद चौथे दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जिसे ऊषा अर्घ्य कहा जाता है और इसी के साथ चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व का समापन होता है. मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-शांति, धन-समृद्धि आती है, इसके साथ ही उत्तम आरोग्य का वरदान मिलता है.