Chaitra Navratri 2023 Day 6: मां कात्यायनी की पूजा से मिटेंगे ग्रहों के दुष्प्रभाव! जानें इनका महात्म्य, पूजा-विधि, शुभ-मुहूर्त एवं मंत्र!

नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का विधान है. इन्हें युद्ध की देवी, महिषासुर मर्दनी और पार्वती का अद्वितीय स्वरूप भी माना जाना है. माता का कात्यायनी को करुणामयी बताया जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता कात्यायनी की पूजा-अनुष्ठान करता है, माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं...

माँ कात्यायनी (Photo: File Image)

Chaitra Navratri 2023 Day 6: नवरात्रि के छठे दिन माता कात्यायनी की पूजा का विधान है. इन्हें युद्ध की देवी, महिषासुर मर्दनी और पार्वती का अद्वितीय स्वरूप भी माना जाना है. माता का कात्यायनी को करुणामयी बताया जाता है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता कात्यायनी की पूजा-अनुष्ठान करता है, माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. माँ कात्यायनी अमोघ फलदायिनी बतायी जाती हैं. छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए माँ कात्यायनी की पूरे विधान से उपासना करनी चाहिए. आइये जानते हैं माँ कात्यायनी की पूजा का महात्म्य, पूजा विधि, मंत्र एवं शुभ मुहूर्त के बारे में विस्तार से.. यह भी पढ़ें: Chaiti Chhath Puja 2023 Messages: हैप्पी चैती छठ पूजा! प्रियजनों को भेजें ये हिंदी Quotes, WhatsApp Wishes, GIF Greetings और HD Images

कौन हैं माँ कात्यायनी?

देवी पुराण के अनुसार माता कात्यायनी दुर्गाजी का छठा अवतार हैं. नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी पूजा की जाती है. प्राचीन किंवदंतियों के अनुसार निसंतान महर्षि कात्यायन ने संतान-सुख के लिए दुर्गाजी की कड़ी तपस्या की थी. उऩकी तपस्या से प्रसन्न होकर माँ दुर्गा ने महर्षि कात्यायन की पत्नी के गर्भ से जन्म लिया था. दरअसल कात्यायन ऋषि का जन्म कात्या वंश में हुआ था. यह वंशावली महर्षि विश्वामित्र से प्रारंभ हुई थी. इसलिए वह माँ कात्यायनी के नाम से जानी जाती हैं. वह सिंह पर सवारी करती है. उनके चार हाथ हैं. पहले दोनों बाएं हाथ में वह कमल और तलवार धारण करती हैं, जबकि उनके दोनों दाहिनी हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होते हैं.

मां कात्यायनी की पूजा का महात्म्य!

अगर घर में किसी के विवाह में किसी तरह की दिक्कत आ रही है तो उसे चैत्र नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूरे विधि-विधान से पूजा और व्रत करना चाहिए. इससे शादी में आ रही सारी दिक्कतें दूर होती हैं, और निर्विघ्न विवाह सम्पन्न होता है. इसके अलावा अगर किसी की कुंडली में राहु ग्रह अथवा बृहस्पति की बुरी दशा के कारण कोई समस्या आ रही है, अथवा जातक कालसर्प जैसे दोष से दुखी है तो इन सब से मुक्ति पाने के लिए माँ कात्यायनी की पूजा-अनुष्ठान लाभ पहुंचाती है. माँ कात्यायनी की पूजा से त्वचा एवं कैंसर रोग भी दूर होते हैं.

मां कात्यायनी की शुभ तिथि एवं पूजा मुहूर्त

चैत्र शुक्ल षष्ठी प्रारंभः दोपहर 04.32 (26 मार्च 2023. रविवार)

चैत्र शुक्ल षष्ठी समाप्तः शाम 05.27 (27 मार्च 2023, सोमवार)

* रवि योगः 06.18 AM से 03.PM तक

* सर्वार्थ सिद्धि योगः पूरे दिन

* अमृत सिद्धि योगः 03.27 PM (27 मार्च 2023) से 06. 16 AM (28 मार्च 2023)

* आयुष्मान योगः रात 11.33 PM (26 मार्च 2023) से रात 11.20 PM (27 मार्च 2023)

* गोधूलि मुहूर्तः 06.35 PM से 06.58 PM (27 मार्च 2023)

ऐसे करें माँ कात्ययनी की पूजा

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माँ कात्यायनी की पंचोपचार विधि से पूजा-अनुष्ठान करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत्त होकर माँ कात्यायनी का ध्यान करते हुए उनकी विधिवत पूजा का संकल्प लें. अब भगवान गणेश को दूर्वा, पुष्प, रोली, सिंदूर एवं अक्षत एवं मोदक अर्पित करें. कलश में स्थित देवी-देवताओं एवं नवग्रह के सामने लाल फूल, अक्षत, रोली, चंदन, सिंदूर इत्र इत्यादि अर्पित करते हुए माँ कात्यायनी की स्तुति करें.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

अब भोग में फल-मिष्ठान के साथ पान-सुपारी चढ़ाएं. निम्न मंत्र का 21 बार जाप करें.

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

इसके पश्चात दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. अंत में माँ कात्यायनी दुर्गाजी की कपूर जलाकर आरती करें.

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