Chaiti Chhath Puja 2023 Nahay-Khay Wishes: चैती छठ पूजा नहाय-खाय की इन HD Images, WhatsApp Greetings, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं
कार्तिक छठ पूजा की तरह ही चैती छठ पूजा के पर्व को भी चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और फिर चौथे दिन ऊषा अर्घ्य के साथ व्रत पूर्ण होता है. आप चैती छठ नहाय-खाय के इन विशेज, एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स के जरिए अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
Chaiti Chhath Puja 2023 Nahay-Khay Wishes in Hindi: सूर्य देव (Surya Dev) और छठ मैया (Chhath Maiya) की उपासना के छठ पूजा महापर्व (Chhath Puja) को साल में दो बार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, एक चैत्र मास में तो दूसरा कार्तिक मास में मनाया जाता है, वैसे तो कार्तिक मास के छठ महापर्व की बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में धूम देखने को मिलती है. चैत्र मास में पड़ने वाले इस महापर्व को चैती छठ पूजा (Chaiti Chhath Puja) कहा जाता है, जिसकी शुरुआत इस साल 25 मार्च से नहाय-खाय (Nahay-Khay) के साथ हो गई है और 28 मार्च को सुबह ऊषा अर्घ्य के साथ इस महापर्व का समापन होगा. चैती छठ पूजा के नहाय-खाय वाले दिन संपूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखते हुए गेहूं और चावल को धोकर सुखाया जाता है. इस दिन कद्दू और भात को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है.
कार्तिक छठ पूजा की तरह ही चैती छठ पूजा के पर्व को भी चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाता है और फिर चौथे दिन ऊषा अर्घ्य के साथ व्रत पूर्ण होता है. आप चैती छठ नहाय-खाय के इन विशेज, एचडी इमेजेस, वॉट्सऐप ग्रीटिंग्स, वॉलपेपर्स के जरिए अपनों को शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- चैती छठ पूजा नहाय खाय
2- चैती छठ पूजा नहाय खाय
3- चैती छठ पूजा नहाय खाय
4- चैती छठ पूजा नहाय खाय
5- चैती छठ पूजा नहाय खाय
गौरतलब है कि चैती छठ पूजा की शुरुआत चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन यानी चैत्र शुक्ल चतुर्थी से होती है और समापन चैत्र शुक्ल सप्तमी को होता है. चैती छठ पूजा का मुख्य पर्व षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. कार्तिक छठ पूजा की तरह ही इस व्रत के दौरान भक्त 36 घंटे तक निर्जल, निराहार रहते हैं और शाम के समय किसी नदी के पानी में खड़े होकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अगले दिन सूर्योदय के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.