Buddha Purnima 2021 Rangoli Designs: बुद्ध पूर्णिमा पर अपने घर के मुख्य द्वार पर बनाएं खूबसूरत रंगोली, ट्राई करें ये लेटेस्ट डिजाइन्स
वैशाख मास की पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है. इस दिन उनकी जयंती को धूमधाम से मनाया जाता है. इसके अलावा लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर खूबसूरत रंगोली बनाते हैं. रंगोली को शुभता का प्रतीक माना जाता है. आप बुद्ध पूर्णिमा के इन खास रंगोली डिजाइन को ट्राई कर सकते हैं और इस पर्व की शुभता को बढ़ा सकते हैं.
Buddha Purnima 2021 Rangoli Designs: इस साल बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) यानी भगवान गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) के जन्मोत्सव का पर्व 26 मई को मनाया जाएगा, जिसे बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) भी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है. भगवान गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है. इतिहास के जानकारों के अनुसार, भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के कपिलवस्तु के पास लुंबिनी में हुआ था, जो वर्तमान में दक्षिण मध्य नेपाल में स्थित है. उनका वास्तविक नाम सिद्धार्थ था और उनके पिता का नाम शुद्धोधन था, जबकि उनकी माता का नाम माया देवी था. सिद्धार्थ के जन्म के महज 7 दिन बाद ही उनकी माता का निधन हो गया था.
वैशाख मास की पूर्णिमा को बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध की जयंती मनाई जाती है. इस दिन उनकी जयंती को धूमधाम से मनाया जाता है. इसके अलावा लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर खूबसूरत रंगोली बनाते हैं. रंगोली को शुभता का प्रतीक माना जाता है. आप बुद्ध पूर्णिमा के इन खास रंगोली डिजाइन (Rangoli Designs) को ट्राई कर सकते हैं और इस पर्व की शुभता को बढ़ा सकते हैं. यह भी पढ़ें: Buddha Purnima Wishes 2021: बुद्ध पूर्णिमा पर ये हिंदी विशेज Greetings, WhatsApp, Facebook Status के जरिए भेजकर दें बधाई
बुद्ध पूर्णिमा 2021 रंगोली डिजाइन
बुद्ध पूर्णिमा आकर्षक रंगोली डिजाइन
बुद्ध पूर्णिमा लेटेस्ट रंगोली डिजाइन
बुद्ध पूर्णिमा स्पेशल रंगोली डिजाइन
गौतम बुद्ध वाली खास रंगोली
बुद्ध जयंती स्पेशल रंगोली
गौरतलब है कि गौतम बुद्ध ने सारा राजपाट त्याग कर महज 29 साल की उम्र में संन्यास धारण कर लिया था. उन्होंने बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे 6 साल तक कठोर तप किया था. ज्ञान प्राप्ति के बाद उन्होंने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था. आखिर में वैशाख पूर्णिमा के दिन ही कुशीनगर में गौतम बुद्ध पंचतत्व में विलीन हो गए थे.