Bhoot Chaturdashi 2020: भूत चतुर्दशी क्या है? जानें दिवाली के दौरान पश्चिम बंगाल में मनाए जाने वाले इस पर्व का महत्व और इससे जुड़ी रोचक बातें
भूत चतुर्दशी 2020 (Photo Credits: File Image)

Bhoot Chaturdashi 2020: हर कोई दिवाली के त्योहार को मनाने के लिए उत्साहित है और 13 नवंबर को धनतेरस (Dhanteras) के साथ पांच दिवसीय दिवाली उत्सव (Diwali Festival) का आगाज हो जाएगा. हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में दिवाली (Diwali) का विशेष महत्व बताया जाता है. हालांकि हर कोई अपनी-अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ इस त्योहार को मनाता है, लेकिन इसका मकसद अंधकार को दूर कर हर तरफ प्रकाश को फैलाना ही है. दिवाली उत्सव के दौरान धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इस दौरान पश्चिम बंगाल (West Bangal) में एक और पर्व मनाया जाता है, जिसे भूत चतुर्दशी (Bhoot Chaturdashi) के नाम से जाना जाता है.

दरअसल, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भूत चतुर्दशी, नरक चतुर्दशी, काली चौदस और छोटी दिवाली जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है. भूत चतुर्दशी के नाम से पता चलता है कि यह पर्व भूत-प्रेत या आत्माओं से जुड़ा हुआ है. इसे अक्सर भारत के हैलोवीन के तौर पर जाना जाता है. चलिए जानते हैं भूत चतुर्दशी का महत्व और इससे जुड़ी रोचक बातें.

भूत चतुर्दशी क्या है?

भूत चतुर्दशी के पर्व को पश्चिम बंगाल में काली पूजा उत्सव के दिन मनाया जाता है. इसे नरक चतुर्दशी के रूप में वर्णित किया जाता है, इससे जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन नरकासुर नामक असुर का संहार किया था. इस दिन को बुरी आत्माओं को दूर करने के लिए जाना जाता है.

भूत चतुर्दशी कब है?

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भूत चतुर्दशी मनाई जाती है. इस साल नरक चतुर्दशी यानी भूत चतुर्दशी 14 नवंबर को पड़ रही है, लेकिन इस बार काली पूजा भी उसी दिन है और इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. यह भी पढ़ें: Diwali 2020 Date & Full Schedule: कब है दिवाली? देखें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की महत्वपूर्ण तिथियों की पूरी लिस्ट

भूत चतुर्दशी से जुड़ी रोचक बातें

मान्यता है कि भूत चतुर्दशी की रात बुरी शक्तियां अधिक प्रभावी होती हैं और अंधेरी रात में आत्माएं अपने प्रिय लोगों से मिलने के लिए आती हैं. कहा जाता है कि एक परिवार के 14 पूर्वज अपने जीवित रिश्तेदारों से मिलने के लिए पहुंचे. इन आत्माओं का मार्गदर्शन करने और बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए परिवार के लोग अपने घर के चारों ओर 14 दीये जलाते हैं. इस रात घर के हर कोने को रोशन किया जाता है. इसे अपने पूर्वजों की चौदह पीढ़ियों के सम्मान की परंपरा कहा जाता है.

एक अन्य मान्यता के अनुसार मां चामुंडा अपने भयावह रूप से बुरी आत्माओं को दूर भगाती हैं. मां चामुंडा को महाकाली का भयावह रूप कहा जाता है और वह बुरी आत्माओं को घरों में प्रवेश करने से रोकती हैं, इसलिए लोग अपने घर के विभिन्न प्रवेश द्वारों और खिड़कियों पर 14 मिट्टी के दीपक जलाते हैं.

कहा जाता है कि इस रात बुरी शक्तियां अधिक हावी होती हैं और इन बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए भूत चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है. कई घरों में चौदह अलग-अलग तरह की पत्तेदार सब्जियों को पकाने और खाने की परंपरा है. इस दिन बच्चों को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाती है. ग्रामीण लोगों की मान्यता के अनुसार, इस रात तांत्रिक सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए तांत्रिक बच्चों का अपहरण करने के लिए आया था, ताकि उनकी बलि चढ़ा कर काली शक्तियों को प्राप्त कर सके.