Bali Pratipada 2024 Greetings: बलि प्रतिपदा (Bali Pratipada), जिसे बलि पद्यामी (Bali Padyami), दिवाली पड़वा (Diwali Padva), वीरप्रतिपदा (Virapratipada) या द्युतप्रतिपदा (Dyutapratipada) के नाम से भी जाना जाता है. यह दिवाली का चौथा दिन है, और देश के कुछ हिस्सों में दैत्य-राजा बलि की धरती पर वापसी के सम्मान में मनाया जाता है. गुजराती लोग इस दिन को वर्ष प्रतिपदा (Varsha pratipada) और बेस्टु वरस (Bestu Varas) कहते हैं. इस साल यह 2 नवंबर को पड़ रहा है. बलि की कथा का सबसे पहला उल्लेख पतंजलि के महाभाष्य में मिलता है, जो पाणिनि के ग्रंथ अष्टाध्यायी पर एक टिप्पणी है. यह कथा देवताओं द्वारा असुरों के खिलाफ अपना गौरव वापस पाने के लिए किए गए समुंद्र मंथन की अगली कड़ी है.
किंवदंती कहती है कि असुरों के दयालु राजा बलि या महाबली स्वर्ग को धमका रहे थे, और इसलिए भगवान विष्णु ने वामन के अवतार में उन्हें पाताल लोक भेज दिया. लेकिन भगवान बलि की भक्ति से इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने उन्हें साल में एक बार धरती पर आने की अनुमति दी. इस दिन को बलि प्रतिपदा के रूप में मनाया जाता है. यह केरल में ओणम त्योहार के पीछे की किंवदंती है. इस दिन श्रीहरि के वामन अवतार और असुर राजा बलि की पूजा की जाती है. इसके साथ ही इस पर्व की बधाई भी दी जाती हैं. ऐसे में आप भी इस खास अवसर पर इन शानदार विशेज, इमेजेस, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ ग्रीटिंग्स, एचडी वॉलपेपर्स को भेजकर हार्दिक बधाई दे सकते हैं.
1- दिवाली पड़वा की शुभकामनाएं
2- दिवाली पड़वा की हार्दिक बधाई
3- शुभ दिवाली पड़वा
2- दिवाली पड़वा की हार्दिक बधाई
3- शुभ दिवाली पड़वा
4- दिवाली पड़वा 2024
5- हैप्पी दिवाली पड़वा
बलिपद्यामी (Balipadyami) या बलि प्रतिपदा (Bali Pratipada) वह दिन है जिस दिन 'बलि' की पूजा की जाती है. दीपावली के बाद इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक कहानी है. जब भगवान विष्णु ने वामन (बौना) के रूप में जन्म लिया, और उनके सिर पर अपना पैर रखकर बलि को पाताल लोक में भेज दिया. तब बलि के दादा प्रह्लाद ने भगवान विष्णु से बलि को माफ़ करने की विनती की. तब बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया गया. बलि के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि पृथ्वी पर लोग उसे याद रखेंगे और उसकी पूजा करेंगे. यही बलिपद्यामी का कारण है. उस दिन भी लोग बलि के नाम पर पटाखे फोड़ते हैं और जश्न मनाते हैं.
बलिपद्यामी (Balipadyami) या बलि प्रतिपदा (Bali Pratipada) वह दिन है जिस दिन 'बलि' की पूजा की जाती है. दीपावली के बाद इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक कहानी है. जब भगवान विष्णु ने वामन (बौना) के रूप में जन्म लिया, और उनके सिर पर अपना पैर रखकर बलि को पाताल लोक में भेज दिया. तब बलि के दादा प्रह्लाद ने भगवान विष्णु से बलि को माफ़ करने की विनती की. तब बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया गया. बलि के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि पृथ्वी पर लोग उसे याद रखेंगे और उसकी पूजा करेंगे. यही बलिपद्यामी का कारण है. उस दिन भी लोग बलि के नाम पर पटाखे फोड़ते हैं और जश्न मनाते हैं.