Bail Pola 2020 Greetings & Photos: बैल पोला की अपनों को दें बधाई, भेजें ये शानदार हिंदी WhatsApp Status, Facebook Wishes, HD Images, Wallpapers और GIF मैसेजेस
पिठोरी अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले बैल पोला पर्व का किसान भाईयों के बीच खासा महत्व है, क्योंकि इस दिन वे फसलों के बढ़ने की खुशी मनाने के साथ-साथ अपने पशु धन के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त करते हैं. इस खास मौके पर आप बैल पोला की अपनों को बधाई देने के लिए ये शानदार ग्रीटिंग, फोटो, वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक विशेज, एचडी इमेज, वॉलपेपर्स और जीआईएफ मैसेजेस भेज सकते हैं.
Bail Pola 2020 Greetings In Hindi: आज (19 अगस्त 2020) का दिन किसानों के लिए बेहद खास है, क्योंकि महाराष्ट्र (Maharashtra) और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के अलावा कई अन्य क्षेत्रों के किसान पोला का पर्व मना रहे हैं. महाराष्ट्र में हर साल भाद्रपद मास की पिठोरी अमावस्या (Pithori Amavasya) को पोला (Pola) यानी बैल पोला (Bail Pola) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि छत्तीसगढ़ में इस पर्व को पोरा कहते हैं. इस दिन किसान अपने पशु धन यानी गाय-बैलों का पूजन करते हैं. इस अवसर पर जहां किसान अपने गाय-बैलों की पूजा करते हैं तो वहीं तरह-तरह के लजीज पकवानों का लुत्फ भी उठाया जाता है. पोला के दिन सुबह से ही किसान भाई अपने बैलों को नहलाकर उनका साज-श्रृंगार करते हैं फिर उनका पूजन करते हैं, फिर घर में बने व्यंजन भी बैलों को खिलाए जाते हैं.
पिठोरी अमावस्या के दिन मनाए जाने वाले बैल पोला पर्व का किसान भाईयों के बीच खासा महत्व है, क्योंकि इस दिन वे फसलों के बढ़ने की खुशी मनाने के साथ-साथ अपने पशु धन के प्रति कृतज्ञता भी व्यक्त करते हैं. इस खास मौके पर आप बैल पोला की अपनों को बधाई (Happ Bail Pola) देने के लिए ये शानदार ग्रीटिंग, फोटो, वॉट्सऐप स्टेटस, फेसबुक विशेज, एचडी इमेज, वॉलपेपर्स और जीआईएफ मैसेजेस भेज सकते हैं.
1- बैल पोला 2020
2- बैल पोला 2020
3- बैल पोला 2020
4- बैल पोला 2020
5- बैल पोला 2020
गौरतलब है कि इस दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैल चलाने की भी परंपरा निभाई जाती है. इस पर्व से कुछ दिन पहले से ही बाजारों में लकड़ी और मिट्टी के बैलों की बिक्री शुरू हो जाती है. दरअसल, यह पर्व खरीफ की फसल के द्वितीय चरण के पूरा होने पर मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन अन्न माता गर्भधारण करती हैं यानी धान के पौधों में दूध भरता है. इन कार्यों में गाय और बैलों की प्रमुख भूमिका होती है, इसलिए इस दिन कृषक अपने गाय-बैलों का पूजन कर उनके प्रति प्रेम और सम्मान दर्शाते हैं.