Amla Navami 2023 Greetings: शुभ आंवला नवमी! प्रियजनों संग शेयर करें ये मनमोहक WhatsApp Stickers, GIF Images, HD Wallpapers और Photo Wishes
आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु स्वरूप है और इसके स्मरण मात्र से गोदान का फल मिलता है. इसे स्पर्श करने पर दोगुना और इसके सेवन से तीन गुना फल मिलता है. जो व्यक्ति इस वृक्ष का रोपण करता है उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है. आंवला नवमी यानी अक्षय नवमी की आप इन मनमोहक ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ इमेजेस, एचडी वॉलपेपर्स और फोटो विशेज के जरिए बधाई दे सकते हैं.
Amla Navami 2023 Greetings in Hindi: आंवला नवमी (Amla Navami) यानी अक्षय नवमी (Akshay Navami) का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है, जबकि अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से इस साल 21 नवंबर 2023 को आंवला नवमी मनाई जा रही है. इस दिन व्रत रखकर आंवले के वृक्ष और जगत के पालनहार भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) की पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन आंवले के वृक्ष (Amla Tree) की विधि-विधान से पूजा करने और इस वृक्ष के नीचे भोजन बनाने के बाद उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से उत्तम आरोग्य की प्राप्ति होती है, साथ ही व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है. इतना नहीं कहा तो यह भी जाता है कि इस दिन पूजा, जप, दान, सेवा और भक्ति जैसे शुभ कार्य करने से कई जन्मों तक इसके पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. आंवले के वृक्ष की पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, इसके परिणाम स्वरूप उनकी कृपा से आरोग्य, सुख-समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है
पद्म पुराण के अनुसार, आंवला वृक्ष साक्षात विष्णु स्वरूप है और इसके स्मरण मात्र से गोदान का फल मिलता है. इसे स्पर्श करने पर दोगुना और इसके सेवन से तीन गुना फल मिलता है. जो व्यक्ति इस वृक्ष का रोपण करता है उसे उत्तम लोक की प्राप्ति होती है. आंवला नवमी यानी अक्षय नवमी की आप इन मनमोहक ग्रीटिंग्स, वॉट्सऐप स्टिकर्स, जीआईएफ इमेजेस, एचडी वॉलपेपर्स और फोटो विशेज के जरिए बधाई दे सकते हैं.
1- आंवला नवमी की हार्दिक बधाई
2- आंवला नवमी की शुभकामनाएं
3- शुभ अक्षय नवमी
4- हैप्पी आंवला नवमी
5- हैप्पी अक्षय नवमी
आंवला नवमी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं और धरती पर आने के बाद उन्हें भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा एक साथ करने की इच्छा हुई. इसके बाद मां लक्ष्मी को स्मरण हुआ कि भगवान विष्णु की प्रिय तुलसी और भगवान शिव के प्रिय बेल के गुण आंवले में पाए जाते हैं, इसलिए माता लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ की पूजा की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव साक्षात प्रकट हुए. इस पूजन के बाद मां लक्ष्मी ने वृक्ष के नीचे ही भोजन बनाया और श्रीहरि व शिवजी को भोजन कराया, उसके बाद स्वयं भी भोजन किया. कहा जाता है कि तब से आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने की इस परंपरा की शुरुआत हुई.