Ambedkar Jayanti 2024 Messages in Hindi: इस साल भारतीय संविधान (Indian Constitution) के रचयिता और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) की 134वीं जयंती मनाई जा रही है. आपको बता दें कि हर साल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराम आंबेडकर की जयंती (Ambedkar Jayanti) देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है. 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू में जन्में भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसलिए उन्हें भारतीय संविधान का रचयिता कहा जाता है. दरअसल, अंग्रेजों की गुलामी से देश की आजादी के बाद डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया. आजाद भारत के पहले काननू व न्यायमंत्री रह चुके डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने समाज में दलितों पर हो रहे अत्याचार, जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ न सिर्फ आवाज उठाई, बल्कि उनके उत्थान के लिए लड़ाई भी लड़ी.
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने 14 अक्टूबर 1956 को अपने समर्थकों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था. बौद्ध धर्म को अपनाने के कुछ समय बाद ही 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया था. हर साल 14 अप्रैल को उनकी जयंती को भीम जयंती, समानता दिवस और ज्ञान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इस खास अवसर पर आप इन हिंदी मैसेजेस, वॉट्सऐप विशेज, फेसबुक ग्रीटिंग्स, एसएमएस के जरिए आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं दे सकते हैं.
1- कर गुजर गए जो वो भीम थे,
दुनिया को जगाने वाले भीम थे,
हमने तो सिर्फ इतिहास पढ़ा है यारों,
इतिहास को बनाने वाले मेरे भीम थे.
आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
2- फूलों की कहानी बहारों ने लिखी,
रातों की कहानी सितारों ने लिखी,
हम नहीं हैं किसी के गुलाम क्योंकि,
हमारी जिंदगी बाबासाहब जी ने लिखी.
आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
3- आज का दिन है बड़ा महान,
बनकर सूरज चमका एक इंसान,
कर गए सबके भले का ऐसा काम,
बना गए हमारे देश का संविधान,
आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
4- नजारों में नजारा देखा,
पर ऐसा नजारा नहीं देखा,
आसमान में जब भी देखा,
मेरे भीम जैसा सितारा नहीं देखा.
आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
5- नींद अपनी खोकर जगाया हमको,
आंसू अपने गिराकर हँसाया हमको,
कभी मत भूलना उस महान इंसान को,
जमाना कहता है बाबासाहेब आंबेडकर जिनको,
आंबेडकर जयंती की शुभकामनाएं
गौरतलब है कि दलित परिवार में जन्में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने बचपन से ही आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना किया था, लेकिन उनसे हार मानने के बजाय उन्होंने अपने जीवन में आने वाली सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया. उन्होंने समाज में फैले छूआछूत, जातिवाद और दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की. इसके साथ ही उन्होंने दलित समाज के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी जयंती के खास अवसर पर दलितों के उत्थान और सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए उनके द्वारा किए गए सराहनीय कार्यों को याद किया जाता है.