Akshaya Tritiya 2021: हिंदू धर्मानुसार अक्षय तृतीया को स्वयं सिद्धी मुहूर्त माना जाता है. इसे अबूझ मुहूर्त वाला दिन भी कहते हैं, यानी इस बिना पंचांग देखे और बगैर मुहूर्त निकाले कोई भी शुभ कार्य किये जा सकते हैं, मान्यता है कि इस दिन किये गये कार्यों के अक्षय फल प्राप्त होते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन विशेष रूप से स्वर्णाभूषणों की पूजा की जाती है, तथा इस दिन सामर्थ्यवान लोग स्वर्ण आभूषणों की खरीदारी एवं पूजा करते हैं. आइये जानें इसके ज्योतिषीय एवं वैज्ञानिक पहलू यह भी पढ़े: Akshaya Tritiya 2021: अक्षय तृतीया 2021 कब है? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इसका महत्व
लॉकडाउन की गाइड लाइन के तहत करें पूजा!
कोरोना का सेकेंड वेव खतरनाक रुख अख्तियार कर रहा है. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का नियमित उपयोग बहुत जरूरी है. प्रातःकाल गंगा स्नान के बजाय नहाने के पानी में कुछ बूंदे गंगाजल मिलाकर स्नान करें, और तांबे के लोटे में जल में लाल चंदन, अक्षत और लाल रंग का पुष्प डालकर सूर्य को जल अर्पित करें. जल अर्पित करते समय जल की धार के बीच सूर्य को देखते हुए ये मंत्र पढ़ते रहें ‘ऊँ सूर्य देवाय नमः’ इसके पश्चात भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत एवं उसके बाद गंगाजल से स्नान कराएं. अब विष्णु जी के सामने स्वर्णाभूषण रखें एवं धूप तथा शुद्ध घी का दीप प्रज्जवलित करें. इसके पश्चात अबीर, गुलाल, कुमकुम, अक्षत, तुलसी का पत्ता, वस्त्र, इत्र एवं सुगंधित लाल अथवा पीले रंग का पुष्प चढ़ाएं. दूध से बने मिष्ठान एवं मौसमी फल चढ़ाएं. अंत में भगवान विष्णु जी की आरती उतारें.
क्यों करते हैं स्वर्ण आभूषणों की पूजा?
हमारे देश में अक्षय तृतीया के दिन स्वर्णाभूषण खरीदने और उसकी पूजा करने की पुरानी परंपरा है. लेकिन कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की गाइडलाइन का पालन करते हुए घर में जो सोने के आभूषण मौजूद हैं, उन्हीं की पूजा करें. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्वर्ण पर विशेष तौर पर बृहस्पति का आधिपत्य होता है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण पूजा करके बृहस्पति की विशेष कृपा प्राप्त की जाती है. इसके साथ ही इस पर्व के साथ एक वैज्ञानिक पहलू भी है कि इस दिन सूर्य की तेज किरणें पृथ्वी पर पड़ती है, हमारे यहां स्वर्ण को सूर्य का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन स्वर्ण अथवा इससे बने आभूषणों की पूजा करने की परंपरा है. सूर्य का संबंध हमारी अच्छी सेहत, सुख और समृद्धि से जोड़ कर देखा जाता है.
पितरो को ध्यान करने का दिन
अक्षय तृतीया के दिन पितरों को भी याद किया जाता है. जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्हें इस दिन पितरों की पूजा-ध्यान करना चाहिए. वास्तु शास्त्र की मानें तो इस दिन पूजा करने से पितरों को राहत मिलता है. अक्षय तृतीया के दिन पितरों के लिए किया गया तर्पण, पिण्डदान, या अन्य किसी प्रकार का किया गया दान बहुत शुभ माना गया है. इससे पितर भी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.