
Adi Shankaracharya Jayanti 2025 Quotes: आदि शंकराचार्य का जन्म आर्यम्बा और शिवगुरु के घर हुआ था, जो कृष्ण यजुर्वेद की वैदिक शाखा से संबंधित नंबूद्री ब्राह्मण थे. शंकराचार्य का जन्मस्थान केरल में पूर्णा नदी के तट पर स्थित कलाडी था. कलाडी तिरु शिव पेरूर (वर्तमान त्रिचूर) से कुछ मील की दूरी पर स्थित है, जिसमें शिव टीला वृषभाल है, जहाँ शिवगुरु और आर्यम्बा ने प्रार्थना की थी और उन्हें दिव्य संतान की प्राप्ति हुई थी. 788 ई. में शंकराचार्य के जन्म की यह घटना जिसने वैदिक प्रणाली के पुनरुद्धार की शुरुआत को चिह्नित किया, का वर्णन माधवीय शंकर विजयम में इस प्रकार किया गया है. जिस प्रकार दिव्य माता पार्वती ने कार्तिकेय को जन्म दिया, उसी प्रकार पुण्यशाली आर्यम्बा ने शंकराचार्य को जन्म दिया, शुभ वैशाख शुक्ल पंचमी (अप्रैल-मई के दौरान बढ़ते चंद्रमा का पांचवा दिन) वर्ष 788 ई. हुआ. यह भी पढ़ें: Shankaracharya Jayanti 2025 Wishes: आदि शंकराचार्य जयंती पर इन WhatsApp Stickers, GIFs और HD Wallpapers को भेजकर दें बधाई
कहा जाता है कि उन्होंने अपने पिता शिवगुरु को अपने जीवन के आरंभ में ही खो दिया था. उन्होंने संसार त्याग दिया और अपनी मां की इच्छा के विरुद्ध संन्यासी बन गए. उन्होंने गोविंदा के अधीन अध्ययन किया, जो गौड़पाद के शिष्य थे. गोविंदा के बारे में कुछ भी निश्चित रूप से ज्ञात नहीं है, लेकिन गौड़पाद एक महत्वपूर्ण वेदांत कार्य, मांडूक्य-कारिका के लेखक के रूप में उल्लेखनीय हैं, जिसमें महायान बौद्ध धर्म का प्रभाव स्पष्ट और यहां तक कि चरम पर है. बौद्ध धर्म का एक रूप जो सभी प्राणियों के उद्धार पर लक्ष्य रखता है और अद्वैतवादी या एकात्मक विचार की ओर प्रवृत्त होता है.
मात्र 32 साल की उम्र में देह त्यागने से पूर्व उन्होंने अपने अनमोल विचारों एवं उपदेशों का खजाना छोड़ा है, जिसे समझकर कोई भी सांसारिक अस्तित्व की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है. यहां हम आदि शंकराचार्य के आध्यात्मिक कोट्स (Adi Shankaracharya Quotes), उपनिषदों एवं अमर विचारों को बता रहे हैं.
1. मंदिर वही पहुंचता है जो धन्यवाद देने जाता हैं, मांगने नहीं - आदि शंकराचार्य जी

2. जिस तरह एक प्रज्वलित दीपक के चमकने के लिए दूसरे दीपक की जरुरत नहीं होती है. उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे और किसी ज्ञान की आवश्यकता नहीं होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए - आदि शंकराचार्य जी

3. तीर्थ करने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं है. सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो -आदि शंकराचार्य जी

4. अज्ञान के कारण आत्मा सीमित लगती है, लेकिन जब अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है, तब आत्मा के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देने लगता है. - आदि शंकराचार्य जी

5. आनंद उन्हें मिलता है जो आनंद की तलाश नहीं कर रहे होते हैं. -आदि शंकराचार्य जी

6. धन, लोगों, रिश्तों और दोस्तों या अपनी जवानी पर गर्व न करें. ये सब चीजें पल भर में छीन ली जाती हैं. इस मायावी संसार को त्याग कर परमात्मा को जानो और प्राप्त करो. -आदि शंकराचार्य जी

उन्होंने भारत के चार कोनों में चार आश्रम स्थापित किये और अपने चार शिष्यों को उनके माध्यम से अद्वैत की शिक्षा और प्रचार का कार्य सौंपा. भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले श्री शंकराचार्य का जीवन काल केवल 32 वर्ष था. उनके बारे में कई प्रेरक किंवदंतियाँ हैं. ऐतिहासिक और साहित्यिक साक्ष्य मौजूद हैं जो साबित करते हैं कि तमिलनाडु के कांचीपुरम में कांची कामकोटि मठ की स्थापना भी शंकराचार्य ने की थी.