विघ्नहर्ता गणेश की पूजा आराधना करने से वो अपने भक्तों के सारे विघ्न हर लेते हैं. भगवान गणेश बुद्धि और समृद्धि के भी देवता हैं. इनकी पूजा और व्रत से बुद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है. वैसे से तो भगवान गणेश की पूजा और आराधना कभी भी की जा सकती है. लेकिन इन्हें प्रसन्न करने के लिए हर कृष्ण मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत किया जाता है. इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi) कहते हैं. विनायक चतुर्थी को 'वरद विनायक चतुर्थी' के नाम से भी जाना जाता है. भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहते हैं. जो श्रद्धालु विनायक चतुर्थी का उपवास करते हैं भगवान गणेश उसे ज्ञान और धैर्य का आशीर्वाद देते हैं.आज विनायक चतुर्थी है. इस बार ये व्रत 10 मार्च रविवार के दिन पड़ा है.
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. उसके बाद सोने, चांदी, पीतल या मिट्ठी से बनी भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करें और व्रत का संकल्प करें. उसके बाद भगवन गणेश को सिन्दूर, फूल, चावल, आदि चढ़ाएं. ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करते हुए उन पर दुर्वा चढ़ाएं. भगवान गणेश कोम बूंदी के लड्डू और मोदक बहुत प्रिय हैं. उन्हें 21 लड्डू या मोदक चढ़ाएं. लड्डू चढ़ाने के बाद कुछ लड्डू प्रसाद के रूम में बांट दें.
पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें. शाम को भगवान गणेश की पूजा आरती के बाद भोजन ग्रहण करें. विनायक चतुर्थी के व्रत को सच्चे और साफ मन से रखने पर भगवान गणेश अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.