Eid Al Adha Mehndi Designs: बकरीद पर ये लेटेस्ट फ्रंट हैंड और बैक हैंड मेहंदी डिजाइन हाथों में लगाकर अपने ईद को बनाएं ख़ास, देखें पैटर्न
ईद मेहंदी डिजाइन (Photo: YouTube)

Eid Al Adha Mehndi Designs: इस्लामी चंद्र कैलेंडर के बारहवें और आखिरी महीने, जुल हिज्जा की शुरुआत अर्धचंद्र या नए चाँद के दिखने के साथ होती है और जुल हिज्जा के आठवें दिन इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक, सऊदी अरब के मक्का में हज यात्रा का प्रतीक है, जिसके बाद दसवें दिन ईद-उल-अज़हा (Eid Ul Adha) मनाई जाती है. हज एक ऐसी तीर्थयात्रा है जिसे हर मुसलमान को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए, अगर वे शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम हैं. ज़ुल हिज्जा इस्लामी चंद्र कैलेंडर का बारहवां और अंतिम महीना है और यह दुनिया भर के मुसलमानों के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि यह वह महीना है जिसके दौरान सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में वार्षिक हज होती है और महीने के दसवें दिन ईद-उल-अज़हा जिसे Bakra Eid (बकरा ईद), Bakrid (बकरीद), Bakhreid (बख़रीद), Eid al-Adha (ईद अल-अज़हा), Eid-ul-Zuha (ईद-उल-ज़ुहा), Eid Qurban (ईद क़ुर्बान), Qurban Bayarami (क़ुर्बान बयारामी) or the Feast of Sacrifice (बलिदान का पर्व भी कहा जाता है) का त्यौहार मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Bakrieid Mehndi Design: बकरीद पर ये फुल हैंड, बैक हैंड और मंडला मेहंदी डिजाइन हाथों में लगाकर अपनी खूबसूरती में लगाएं चार चांद, देखें पैटर्न

ज़ुल हिज्जा को एक पवित्र महीना माना जाता है और यह भक्ति, इबादत के कार्यों का समय होता है. जुल हिज्जा के दसवें दिन, दुनिया भर के मुसलमान ईद-उल-अज़हा मनाते हैं, जहाँ त्यौहार के दौरान मवेशियों की कुर्बानी पैगंबर इब्राहिम और इस्माइल के अल्लाह के प्रति प्रेम को याद करती है. यह यह भी दर्शाता है कि कोई व्यक्ति अल्लाह की खातिर अपनी सबसे प्रिय चीज़ की कुर्बानी देने के लिए तैयार है.

बकरीद पर महिलाएं और लड़कियां नए कपड़े पहनती है, हाथों में मेहंदी लगाती हैं. अगर आप भी ईद पर लेटेस्ट मेहंदी डिजाइंस की तलाश में हैं तो हम ले आये हैं कुछ खूबसूरत मेहन्दी डिजाइन.

लेटेस्ट बैक हैंड मेहंदी डिजाइन

लेटेस्ट फ्लोरल मेहंदी डिजाइन

फ्री स्टाइल पैचवर्क मेहंदी

ईद स्पेशल गोल टिक्की मेहंदी डिजाइन

मंडला मेहंदी डिजाइन

कुर्बानी से तैयार मांस या भोजन को तीन बराबर भागों में बांटा जाता है - एक हिस्सा परिवार को खिलाया जाता है, दूसरा रिश्तेदारों के लिए और तीसरा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए. मुसलमानों का मानना ​​है कि भले ही न तो मांस और न ही खून अल्लाह तक पहुंचता है, लेकिन उसके लोगों की भक्ति उस तक पहुंचती है.